श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के दौरान मुंबई में दही हांडी समारोह में पिरामिड बनाते वक्त 63 गोविंदा गिरकर घायल हो गए। इन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। महाराष्ट्र में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर बड़ी तादाद में जगह-जगह दही हांडी समारोह होते हैं। इस दौरान गोविंदा या दही हांडी प्रतिभागी हवा में लटकाए गए दही हांडी (दही से भरे मिट्टी के बर्तन) को तोड़ने के लिए कई मंजिला मानव पिरामिड बनाते हैं।
नगर निकाय के अधिकारी ने बताया कि शाम सात बजे तक मुंबई में 63 गोविंदाओं के घायल होने की जानकारी मिली। इससे पहले दोपहर तीन बजे तक पिरामिड बनाने का प्रयास करते समय 41 गोविंदाओं को चोटें आईं। घायल गोविंदाओं में से आठ को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और 26 का ओपीडी में इलाज किया जा रहा है। जबकि सात अन्य को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। गंभीर घायल आठ गोविंदा में से तीन राजावाड़ी अस्पताल, एक-एक केईएम अस्पताल, सेंट जॉर्ज अस्पताल, एमटी अस्पताल और कुर्ला भाभा अस्पताल में भर्ती कराए गए।
अधिकारी ने बताया कि दही हांडी के दौरान कई गोविंदा समूहों ने बैनर और पोस्टर के माध्यम से सामाजिक संदेश प्रदर्शित किए। साथ ही जबकि कई समूहों ने महाराष्ट्र और अन्य स्थानों पर हुई यौन उत्पीड़न की घटनाओं का विरोध किया। कई महिला गोविंदा समूह भी पिरामिड बनाकर दही हांडी तोड़ने की कोशिश करते नजर आए।
दही हांडी महोत्सव के दौरान हांडी को तोड़ने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रतियोगिता रखी जाती है और जो भी हांडी फोड़ देता है उसे ईनाम दिया जाता है। इसमें लोग मानव पिरामिड बनाते हैं। इसमें व्यक्ति धीरे-धीरे सभी के कंधों पर चढ़ता हुआ शीर्ष पर पहुंचता है और हांडी को फोड़ देता है। हालांकि, ये काफी मुश्किल भरा काम है, जिसमें बार-बार लोग नीचे गिर जाते हैं। हर जगह अलग तरीके से दही हांडी की प्रतियोगिता रखी जाती है। दही हांडी में एक साफ और नए मटके में दही, दूध, घी, कुछ कटे हुए फल जैसे सेब, केला, अनार दाने, अंगूर, सूखे मेवे जैसे काजू, किशमिश, बादाम आदि डाला जाता है। इसके बाद पानी मिलाकर इसे अच्छी तरह से फेंटा जाता है। आजकल दही हांडी में लोग सूखा मेवा और कुछ धन राशि भी डालते हैं।