बिहार विधानसभा में सरकार और विपक्ष के बीच शक्ति की परीक्षा दो बार होगी। पहली परीक्षा में अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार जीत जाती है तो उसके लिए असल बहुमत परीक्षण आसान होगा। दरअसल, मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का सारा खेल विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर निर्भर है। वह तेजस्वी यादव के लिए मरहम और राज्य की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के लिए मुसीबत हैं। पहला शक्ति परीक्षण उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाने का होगा। यह सत्ता पक्ष का दांव होगा। इसी में पता चल जाएगा कि सत्ता के साथ कितने हैं और खिलाफ कितने। अगर पहला खेल सरकार जीतती है तो संभव है कि दूसरी शक्ति परीक्षण की नौबत भी न आए।
बिहार में 28 जनवरी को सरकार बदलते ही सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने एक ही काम किया कि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भिजवा दिया। अवध बिहारी चौधरी ने सात फरवरी को कहा कि उन्हें पता तो चला है कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है, लेकिन वह अपने पद पर कायम हैं। इसी आधार पर उन्होंने विधानसभा का पूरा कार्यक्रम भी जारी किया। विधानसभा की नियमों से संबंधित समिति के भी वह अध्यक्ष हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि 28 जनवरी को अविश्वास प्रस्ताव का बिहार विधानसभा के सचिव के कार्यालय में जमा कराया गया नोटिस, प्रभावी रहता है या नहीं। अविश्वास प्रस्ताव से 14 दिनों तक अध्यक्ष प्रभावी रहते हैं, इसलिए नए मंत्रिमंडल ने नोटिस के हिसाब से 12 फरवरी से सत्र की शुरुआत का समय किया था।
अब नियम-कानून की भी जानकारी समझ लें
सोमवार को विधानसभा सत्र शुरू होगा तो अनुच्छेद 179 की चर्चा खूब होगी। यह अनुच्छेद विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद खाली होने, हटाए जाने या हट जाने से संबंधित है। सत्ता इसी नियम के तहत 14 दिन पहले अवध बिहारी चौधरी के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से सत्र की शुरुआत चाहेगा। अगर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कराने में सरकार के पास बहुमत साबित हो गया तो वह डिप्टी स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। अगर अवध बिहारी चौधरी को हटाने में बहुमत का परीक्षण हो गया तो डिप्टी स्पीकर नीतीश कुमार सरकार के बहुमत परीक्षण की जरूरत को समाप्त कर सकते हैं। बड़ी बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव आएगा तो अध्यक्ष की कुर्सी पर डिप्टी स्पीकर कार्यवाही संचालित करेंगे। अगर जबरन इस प्रक्रिया के दौरान अवध बिहारी चौधरी कुर्सी पर कायम रहे तो भी उनके खिलाफ वोट ज्यादा पड़ने पर उन्हें उतरना होगा। अगर सत्तापक्ष उन्हें हटाने के लिए बहुमत नहीं ला सका तो तय मान लिया जाएगा कि सरकार भी नहीं बचेगी।