भारत में राजद्रोह जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज करने के मामले में पश्चिम बंगाल की पुलिस सबसे आगे है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अकेले पश्चिम बंगाल में 25 प्रतिशत देशद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा पिछले एक साल (2022) में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 75 प्रतिशत से अधिक मामले केवल चार राज्यों- जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, असम और उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए।
नवीनतम NCRB डेटा के अनुसार, 2022 में पूरे भारत में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124ए के तहत राजद्रोह के कुल 20 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा यूएपीए के तहत 1,005 मामले दर्ज किए गए। बता दें कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करता है। इसकी वार्षिक अपराध रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के बाद से राजद्रोह के मामलों में कमी आई है, जबकि यूएपीए के तहत दर्ज मामले पिछले तीन वर्षों में तेजी से बढ़े हैं।
आंकड़ों के अनुसार, 2021 में देश में राजद्रोह के 76 मामले, ,जबकि यूएपीए के 814 मामले दर्ज किए गए थे। 2020 में राजद्रोह के 73 और यूएपीए के 796 मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, यूएपीए के सबसे अधिक मामले जम्मू-कश्मीर (371) में दर्ज किए गए। यूएपीए के तहत दर्ज मामलों में जम्मू-कश्मीर के बाद मणिपुर (167), असम (133) और उत्तर प्रदेश (101) का नंबर आता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, राजद्रोह के सबसे अधिक मामले पश्चिम बंगाल में (5) दर्ज किए गए। इसके बाद जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और उत्तर प्रदेश के नाम आते हैं। सभी राज्यों में 3-3 मामले दर्ज किए गए।
एनसीआरबी के अनुसार, ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ की व्यापक श्रेणी के तहत साल 2020 में 5,613 मामले दर्ज किए गए थे। 2021 में मामले घटकर 5,164 पर जा पहुंचे। एक साल बाद यानी 2022 में कुल 5,610 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में कुल मामलों में से 78.5 प्रतिशत (4,403 मामले) सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए। इसके बाद यूएपीए का नंबर आता है। इस सख्त कानून के तहत देशभर में 1,005 (17.9 प्रतिशत) मामले दर्ज किए गए।
‘राज्य के खिलाफ अपराध’ की व्यापक श्रेणी के तहत अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (2,231) में दर्ज किए गए। इसके बाद तमिलनाडु (634), जम्मू और कश्मीर (417), असम (298) और केरल (297) का नंबर आता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में ऐसे 22 मामले दर्ज किए गए।