Parliament: राज्यसभा (Parliament) में सदन के नेता पीयूष गोयल और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन में झूठ बोलने वाले सदस्यों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। दोनों ने सभापति जगदीप धनखड़ उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जो सवाल पूछने की आड़ में झूठे आरोप लगाते हैं। दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने बिना आधार के मुद्दों को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करने के आरोप भी लगाए। राज्यसभा में दैनिक प्रश्नकाल के दौरान गोयल और वैष्णव ने खास तौर पर तृणमूल कांग्रेस और वाम दल के सांसद पर कार्रवाई की मांग की।
दरअसल, शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन गोखले ने कई राज्यों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत आपूर्ति की जाने वाली दाल और अन्य अनाजों से जुड़ा सवाल पूछा था। उन्होंने पूछा था कि राज्यों में केंद्र के अनाज को अस्वीकार करने के कारण क्या हैं? ब्रिटास ने कहा कि रेलवे ने जब से वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायत ‘बंद’ की है, बुजुर्ग यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘यात्रियों को लूटने के लिए एक प्रीमियम तत्काल लाया गया है।’ स्लीपर और जनरल डिब्बों के बदले एसी डिब्बे लाए गए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या रेल मंत्री ‘अपने रुख की समीक्षा करेंगे?’
जवाब में वैष्णव ने कहा, माननीय सदस्य एक प्रश्न नहीं पूछ सके। उन्होंने कुछ टिप्पणियां की हैं, जो बहुत भ्रामक हैं। सरकार उनके सभी आरोपों का खंडन करती है। रेल मंत्री ने कहा, अगर ब्रिटास के पास चर्चा के मुद्दे से जुड़ा कोई विशेष प्रश्न या कोई विशिष्ट मामला है, तो चर्चा में उनका स्वागत है। वैष्णव ने कहा, ‘यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है। यदि कोई माननीय सदस्य प्रश्न पूछने की आड़ में स्पष्ट रूप से ऐसे आरोप लगा रहा है जो निराधार और बिल्कुल झूठे हैं।’ उन्होंने पूछा कि ऐसे बयानों को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं है तो सांसद के साथ क्या व्यवहार किया जाना चाहिए? क्या उस विशेष माननीय सदस्य को सज़ा दी जाएगी? इसके जवाब में धनखड़ ने कहा, ‘मुझे सदन को विश्वास में लेने दीजिए। मैं सभी पहलुओं पर गौर करूंगा।’
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री से जब ब्रिटास ने सवाल पूछा तो गोयल ने हस्तक्षेप किया। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के कैबिनेट मंत्री गोयल ने कहा, मुझे नहीं लगता कि दाल को अस्वीकार करने की कोई घटना हुई है। हम पीएमजीकेएवाई के तहत दाल की आपूर्ति नहीं करते हैं। ऐसी कोई घटना नहीं है जिसकी हमें सूचना मिली हो। उन्होंने कहा, वास्तव में अधिकांश राज्य, खुद खाद्यान्न खरीद रहे हैं। माननीय सदस्य को बताना चाहिए कि किस राज्य में दाल या किसी अन्य चीज को अस्वीकार किया गया हो।
उन्होंने कहा, यदि उचित मूल्य वाली दुकान के स्तर पर कोई कदाचार हुआ है, तो निश्चित रूप से राज्य सरकारों को इसकी जांच करनी चाहिए। गोयल ने कहा, एफसीआई की तरफ से अस्वीकृत कोई भी सामग्री वापस करने की कोई घटना उनकी जानकारी में नहीं है। विशिष्ट विवरण पर सरकार जवाब दे सकती है।
गोयल की टिप्पणी के बाद सभापति ने गोखले से कहा कि यदि कोई उदाहरण हो तो साझा करें। जवाब में गोखले ने कहा, तमिलनाडु में खाद्यान्न अस्वीकार किए जाने के बाद, वे NAFED के पास गए, उन्होंने एक समिति का गठन किया। NAFED ने उसके बाद खरीद प्रक्रिया बदल दी। इसमें 100 प्रतिशत मिलर्स की तरफ से दिया जाता है। 70 प्रतिशत लिया गया है और ओटीआर (आउट-टर्न अनुपात) की निचली सीमा हटा दी गई है। गोखले ने संबंधित मंत्री से जवाब की अपील करते हुए कहा, ऐसा लगता है कि उन्हें इस तथ्य की जानकारी नहीं है।
इस पर गोयल ने कहा, ‘माननीय सदस्य ने जो कहा है, मैं उसका पुरजोर खंडन करता हूं… मैं चाहूंगा कि वह इसे सदन के पटल पर रिकॉर्ड में रखें क्योंकि उन्होंने एक बहुत ही प्रतिष्ठित संगठन के खिलाफ बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं।’ सभापति धनखड़ ने जवाब में कहा, गोखले ने सदन के पटल पर एक दृढ़ परिप्रेक्ष्य और दावा रखा है। इस पर सदन के नेता ने आपत्ति जताई है। माननीय सदस्य इसे सदन के पटल पर रख सकते हैं। हम इसकी जांच करेंगे।