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Friday, November 22, 2024

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इन नेताओं की वजह से नहीं सुलझा मराठा आरक्षण का मुद्दा; आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने गिनाए नाम

मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे 20 जुलाई से मराठा आरक्षण को लेकर एक बार फिर से अनिश्चितकालीन अनशन की शुरुआत करेंगे। दरअसल मनोज जरांगे ने एलान किया था कि अगर राज्य सरकार 13 जुलाई की आधी रात तक सरकार की तरफ से मराठों को आरक्षण देने में विफल रहने पर वो अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे। वहीं मनोज जरांगे ने दावा किया है कि महाराष्ट्र सरकार डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस और मंत्री छगन भुजबल के दवाब के कारण मराठा आरक्षण का मुद्दा अभी तक अनसुलझा है।

जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में पत्रकारों से बात करते हुए मनोज जरांगे ने कहा, राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया है, हालांकि 13 जुलाई की समय सीमा बीत चुकी है। मेरा मानना है कि देवेन्द्र फडणवीस और छगन भुजबल ने सरकार पर मराठा आरक्षण की समस्या को हल न करने के लिए दबाव डाला होगा। बता दें कि मनोज जरांगे सभी कुनबी (कृषक) और उनके ऋषि सोयरे (रक्त संबंधियों) को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र की मांग करते हुए भूख हड़ताल कर रहे हैं। जबकि फरवरी में, महाराष्ट्र विधानसभा ने चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच शिक्षा और सरकारी नौकरियों में समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया।

इस दौरान मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने दावा किया कि मराठा उप-कोटा समिति के सदस्य राज्य मंत्री शंभुराज देसाई ने उनसे बातचीत नहीं की है। उन्होंने कहा, हमें मंत्री देसाई पर भरोसा था, लेकिन उन्होंने अभी तक हमसे बातचीत नहीं की है, हो सकता है कि उन पर कार्यकर्ताओं से बातचीत न करने का दबाव हो। जरांगे ने आगे कहा कि मराठा नेताओं की बैठक के बारे में 20 जुलाई को निर्णय लिया जाएगा और वे तय करेंगे कि समुदाय आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में 288 उम्मीदवार उतारेगा या मुंबई में विरोध मार्च निकालेगा।

मनोज जरांगे ने मंत्री छगन भुजबल पर लगाया आरोप
उन्होंने कहा, हमें अपना अधिकार पाने के लिए मुंबई जाना होगा। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। मनोज जरांगे ने मंत्री छगन भुजबल पर मराठा आरक्षण के खिलाफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भड़काने का आरोप लगाया, लेकिन विश्वास व्यक्त किया कि आखिरकार समुदाय मंत्री की चालों को समझ जाएगा। जरांगे ने दावा किया कि मंत्री भुजबल ने धनगर समुदाय को मराठों के खिलाफ खड़ा किया था और सुझाव दिया कि समुदाय अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत कोटा की मांग करें।

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