यूरोपीय संघ (ईयू) द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत एक समर्पित विवाद निपटान तंत्र स्थापित करने के प्रस्ताव पर भारत के जवाब का इंतजार कर रहा है। इस पर दोनों पक्षों द्वारा एक महत्वकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साथ बातचीत की जा रही है। ईयू के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह बात कही।
ईयू के कार्यकारी उपाध्यक्ष और व्यापार आयुक्त वाल्डिस डोमब्रोवस्की ने पत्रकारों को बताया कि दोनों पक्ष प्रस्तावित एफटीए पर गहन बातचीत में लगे हुए हैं और विभिन्न मुद्दों पर प्रगति भी हुई है। हालांकि, भारत दौरे पर आए ईयू के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हमारे सामने अभी भी बहुत काम बाकी हैं।
यह पूछे जाने पर कि एफटीए पर कब मुहर लग सकती है, यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त ने कहा कि मुख्य फोकस समय सीमा से ज्यादा सार पर है। डोमब्रोवस्की ने कहा, मुक्त व्यापार समझौता भारत को यूरोपीय संघ के बाजार में तरजीह वाली पहुंच प्रदान करेगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा एकल बाजार है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मॉस्को के साथ नई दिल्ली के व्यापार संबंधों का भारत-यूरोपीय संघ व्यापार वार्ता पर कोई सीधा प्रभाव नहीं है। उन्होंने कहा, हम नए विषयों को उभरते हुए नहीं देख रहे हैं जो इस एफटीए के लिए बाधा हो सकते हैं।
डोमब्रोवस्की ने इस्पात और लौह अयस्क जैसे उच्च कार्बन वाले उत्पादों के आयात पर प्रस्तावित कार्बन कर को लेकर नई दिल्ली की चिंताओं को भी दूर किया और धरती के लिए इसे एक गैर-भेदभावपूर्ण उपाय बताया। चार महीने पहले यूरोपीय संघ ने अपने कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के हिस्से के रूप में इस्पात, एल्यूमीनियम, सीमेंट, उर्वरक और बिजली के आयात पर कार्बन कर लगाने के अपने फैसले की घोषणा की थी। सीबीएएम 2026 से लागू होगा। इसका उद्देश्य 2050 तक शुद्ध शून्य ग्रीनहाउस उत्सर्जन प्राप्त करना है।
उन्होंने आगे कहा, सीबीएएम भेदभावपूर्ण नहीं है और यह वास्तव में यूरोपीय संघ को निर्यात करने के लिए कुछ देशों को उत्पादकों की क्षमतो को प्रभावित नहीं करता है। यूरोपी संघ के उत्पादकों को एख ही कीमत का भुगतान करना होगा। इसलिए व्यापार का गलत प्रभाव नहीं होने जा रहा है। भारत के साथ निवेश संरक्षण समझौते के लिए यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित विवाद निपटान तंत्र के बारे में डोमब्रोवस्की ने कहा कि इस तरह के सभी समझौतों में समान तंत्र है जिसे 27 देशों के समूह ने हाल के दिनों में मजबूत किया है।
यूरोपीय संघ ने निवेश संरक्षण समझौते के तहत विवाद निपटान तंत्र के हिस्से के रूप में एक स्वतंत्र निवेश अदालत प्रणाली स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा, ‘हमने निवेश अदालत प्रणाली का प्रस्ताव रखा है, जैसा कि हमने हाल के सभी समझौतों में किया है। वर्तमान में हम इस संबंध में भारत की पेशकश का भी इंतजार कर रहे हैं।’