कौशल विकास निगम घोटाला मामले में आंध्र प्रदेश सरकार ने मंगलवार को अमरावती उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को नियमित जमानत दी गई थी।
देश की सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर आंध्र सरकार ने फैसले को रद्द करने की मांग की है। राज्य सरकार की और से अधिवक्ता महफूज अहसान नाजकी ने दलील दी है कि आरोपी प्रभावशाली व्त्यक्ति है और अपने दो सहयोगियों को देश से बाहर भगाने में मदद की है। भागने वालों में एक सरकारी नौकर भी है। इस तरह से आरोपी जांच को प्रभावित कर रहा है इसलिए उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
इसके साथ सरकार ने यह भी दलील दी है कि उच्च न्यायालय ने 39 पन्ने के फैसले में न केवल मिनी ट्रायल किया है बल्कि दस्तावेजों के उलट निष्कर्ष प्रस्तुत करने में गलती की है।
उच्च न्यायालय ने दी थी नियमित जमानत
बता दें कि 20 नवंबर को चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास घोटाला मामले में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की तरफ से नियमित जमानत दे दी गई थी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने उन्हें 24 नवंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दी थी। तब उनके वकील ने आंखों के ऑपरेशन का हवाला देकर नायडू के लिए अंतरिम जमानत देने की अपील की थी।
अंतरिम जमानत में लगाई गई थी कई शर्तें
अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत देने के दौरान निर्देश दिए थे कि अस्पताल जाने के अलावा नायडू किसी भी अन्य तरह के कार्यक्रम में न जाएं। उन्हें खास तौर पर मीडिया और राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि चंद्रबाबू नायडू को 371 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाले में 9 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। सीआईडी ने उन्हें 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था। सीआईडी का दावा है कि नायडू के ही नेतृत्व में मुखौटा कंपनियों के जरिये सरकारी धन को निजी संस्थाओं में हस्तांतरित करने की साजिश रची गई।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2018 में इस घोटाले की शिकायत की थी। मौजूदा सरकार की जांच से पहले जीएसटी इंटेलिजेंस विंग और आयकर विभाग भी घोटाले की जांच कर रहे थे।