आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय दुनिया भर के बड़े संस्थानों के साथ शोध के लिए करार करेगा। इसमें आईआईटी और सीएसआईआर से जुड़े तकनीकी संस्थान भी शामिल होंगे। इस कड़ी में शुक्रवार को देश के एक निजी विश्वविद्यालय के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा के शोध और प्रौद्योगिकी से जुड़ा समझौता किया गया। यह एमओयू अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के साथ हुआ है।
गुरुवार को हुए इस करार के दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक डॉक्टर तनुजा नेसारी ने बताया कि आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति को और बेहतर करने के लिए जिस वैज्ञानिक शोध और शिक्षा को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। वह इससे आगे बढ़ेगी। इस दौरान निजी तकनीकी शिक्षण संस्थान के साथ प्रौद्योगिकी और शोध कार्यक्रमों को बढ़ावा मिलेगा। संस्थान की निदेशक ने बताया कि इस तरीके का करार देश और दुनिया के अलग-अलग तमाम विश्वविद्यालय के साथ आगे भी किया जाना है।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और आयुष मंत्रालय मिलकर भारतीय पुरातन चिकित्सा पद्धति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समूची दुनिया में आगे बढ़ा रहे हैं। एआईआईए की निदेशक प्रो. (डॉ.) तनुजा नेसरी ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है और ये एमओयू इस दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा। आपसी ज्ञान और शोध को साझा करके हम विकास को बढ़ावा दे सकते है।
एआईआईए ने आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी संस्थाओं और विश्विद्यालयों के साथ 40 एमओयू किए है। उन्होंने कहा कि जिसमें आईआईटी, सीएसआईआर जैसे बड़े संस्थान शामिल हैं। जबकि 17 अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन किए है।