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Saturday, April 27, 2024

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अक्तूबर में सुनी जाएगी नीतीश कटारा हत्याकांड से जुड़ी अर्जी; केजरीवाल से जुड़े केस में सुनवाई टली

साल 2002 में हुए नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में दोषी विकास यादव की याचिका पर शीर्ष कोर्ट तीन अक्तूबर को सुनवाई करेगी। मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की पीठ ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया। वह 2002 के सनसनीखेज नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की जेल की सजा काट रहे विकास यादव की याचिका में उसे छूट का लाभ देने से इनकार का मुद्दा उठाया गया है।  

बता दें कि तीन अक्तूबर 2016 को, शीर्ष अदालत ने बिजनेस एक्जीक्यूटिव कटारा के अपहरण और हत्या में उनकी भूमिका के लिए उत्तर प्रदेश के विवादास्पद राजनेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को बिना किसी छूट के जेल की सजा दी थी। इस मामले में अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को भी बिना किसी छूट लाभ के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। बता दें कि विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव अलग-अलग जाति के होने के कारण अपनी बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंध के खिलाफ थे।

शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में, विकास यादव ने यह निर्देश देने की मांग की है कि छूट का लाभ संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है और इसे अदालतों की न्यायिक घोषणा द्वारा भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।

इस मामले में मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह और वकील दुर्गा दत्त ने याचिका का विरोध किया। साथ ही उन्होंने इसे खारिज करने की मांग भी की। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि विकास यादव बिना किसी छूट के 22 साल से जेल में है। इस दौरान केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भी याचिका खारिज करने की मांग की। भाटी ने कहा कि समय का इस तरह दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका में विकास ने कहा है कि उसे सीआरपीसी की धारा-432,433, 433ए के तहत सजा में रियायत या छूट का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि यह दैहिक स्वतंत्रता का हिस्सा है, जो संविधान के अनुच्छेद – 21 के तहत संरक्षित है और इस पर किसी भी न्यायिक आदेश के जरिए पाबंदी नहीं लगाई जा सकती।

चुनाव कानून के उल्लंघन पर यूपी में कार्यवाही के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2014 के भड़काऊ भाषण के एक मामले में आरोपमुक्त करने की मांग वाली दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुल्तानपुर की निचली अदालत में लंबित आपराधिक मामले में उन्हें आरोपमुक्त करने से मना कर दिया था।जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने केजरीवाल के वकील की ओर से सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले को चार हफ्ते के लिए टाल दिया। पीठ ने केजरीवाल को उत्तर प्रदेश से दायर जवाबी हलफनामे पर अपना पक्ष रखने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। शीर्ष अदालत 16 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से पारित उस आदेश के खिलाफ केजरीवाल की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मामले में आरोप मुक्त करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने सुल्तानपुर सत्र अदालत के एक आदेश को बरकरार रखा था।

आम आदमी पार्टी प्रमुख के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा- 125 (चुनाव के संबंध में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत एक फ्लाइंग स्क्वाड मजिस्ट्रेट ने मामला दर्ज किया था। आरोप लगाया गया था कि उन्होंने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया था। केजरीवाल पर कथित तौर पर यह बोला था, जो कांग्रेस को वोट देगा, मेरा मनाना है कि देश के साथ गद्दारी होगी और जो भाजपा को वोट देगा उसे खुदा भी माफ नहीं करेंगे, यह देश के साथ गद्दारी होगी।

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