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Friday, May 3, 2024

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अब निसार मिशन की तैयारी चंद्रयान-3 के बाद, यह बात कही नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की निदेशक ने

भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों के वैज्ञानिक नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) मिशन पर मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अंतरिक्ष यान से नीचे आने वाले डेटा का अधिकतम लाभ उठा सकें। यह बात नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) की निदेशक लॉरी लेशिन ने मंगलवार को कही। 

निसार को 2024 में लॉन्च किया जाना है। इसे नासा और इसरो के द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है ताकि पृथ्वी की जमीन और बर्फ की सतहों की गतिविधियों की बारीकी निगरानी की जा सके।  

लेशिन ने कहा, हम नासा और इसरो के मिलकर काम करने को लेकर बहुत उत्साहित हैं। यह (निसार) एक रडार मशीन है जो पृथ्वी की सतह की निगरानी करेगी कि यह कैसे बदल रही है। वे भारत में यह समझने चाहते हैं कि तटों पर मैंग्रोव पर्यावरण कैसे बदल रहा है। इससे हम यह भी समझेंगे कि बर्फ की चादरें कैसे बदल रही हैं और पूरी दुनिया मं भूकंप और ज्वालामुखी कैसे हो रहे हैं। हमारी पृत्वी को बेहतर ढंग से समझने के लिए अलग-अलग पहलू हैं। 

उन्होंने आगे कहा, बंगलुरू में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के हमारे सहयोगियों का इसरो में अपने सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना बहुत रोमांचक रहा है। अविश्वसनीय सहयोग, अच्छा टीम वर्क और एक-दूससे से सीखना। टीम एक साथ बहुत अच्छी तरह से काम कर रही है और इसरो व नासा के बीच मिशन लगभग फिफ्टी-फिफ्टी है। 

निसार हर 12 दिनों में कम से कम एक बार हमारे ग्रह के करीब हर हिस्से की निगरानी करता है, इसलिए अन्य अवलोकनों के अलावा यह उपग्रह वैज्ञानिकों को जंगलों, आर्द्रभूमि और कृषि भूमि की गतिशीलता को समझने में भी मदद करेगा। नासा की लेशिन ने कहा, ‘इसके अलावा, वे पृथ्वी विज्ञान से परे भविष्य में सभी प्रकार की चीजों पर काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘हम सभी तरह की चीजों पर साथ काम करने को लेकर उत्सुक हैं। इनमें चंद्रमा और मंगल ग्रह के भविष्य के मिशन शामिल हैं।’

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