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Sunday, April 28, 2024

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अश्लीलता की परिभाषा पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने की प्रगतिशील दृष्टिकोण की वकालत; यह बात कही छोटे कपड़ों पर

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक मामले में सुनवाई करते हुए अश्लीलता की परिभाषा पर ‘प्रगतिशील दृष्टिकोण’ की वकालत की है। न्यायमूर्ति विनय जोशी और वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ एक पार्टी में ‘कम कपड़े पहने’ महिलाओं को नाचते देखने के लिए पांच लोगों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में सुनवाई कर रही थी। सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। 

न्यायमूर्ति विनय जोशी और वाल्मिकी एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने उमरेड पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करते हुए कहा कि अदालत नैतिकता के प्रचलित मानदंडों और वर्तमान समय में किस तरह के पहनावे को सामान्य और स्वीकार्य माना जाता है, के प्रति सचेत है। 

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि हम इस मामले में प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाना पसंद करते हैं और इस तरह का निर्णय पुलिस अधिकारियों के हाथों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। आरोपी महिलाओं की हरकतें, जो कथित तौर पर छोटी स्कर्ट पहन रही थीं और उत्तेजक नृत्य कर रही थीं या ‘अश्लील’ इशारे कर रही थीं, को अश्लील हरकतें नहीं कहा जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि हम वर्तमान भारतीय समाज में प्रचलित नैतिकता के सामान्य मानदंडों के प्रति सचेत हैं। साथ ही इस तथ्य पर न्यायिक ध्यान देते हैं, कि वर्तमान समय में यह काफी सामान्य और स्वीकार्य है कि महिलाएं ऐसे कपड़े पहन सकती हैं। ऐसा पहनावा अक्सर फिल्मों या सौंदर्य प्रतियोगिताओं में देखा जाता है।

बता दें कि31 मई, 2023 को पुलिस ने उमरेड इलाके में एक जगह पर छापा मारा था। इस दौरान, कुछ लोग कम कपड़े पहने महिलाओं को अश्लील नृत्य करते हुए देख रहे थे और उन पर नकली नोटों की बारिश कर रहे थे। इन लोगों और महिलाओं के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद आरोपी ने मामले को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था। 

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