आत्मकथा पर विवाद को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस सोमनाथ का अहम बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि वह अपनी आत्मकथा का प्रकाशन नहीं कराएंगे। इसरो चीफ ने आत्मकथा का प्रकाशन न कराने का फैसला पूर्व इसरो प्रमुख के सिवन के बारे में उनकी कुछ कथित आलोचनात्मक टिप्पणियों पर विवाद के बीच लिया गया है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि वह अपनी आगामी आत्मकथा के प्रकाशन से हट रहे हैं। उन्होंने कहा, कि सिवन के बारे में उनकी कुछ कथित आलोचनात्मक टिप्पणियों पर विवाद खड़ा होने के बाद ऑटोबायोग्राफी का प्रकाशन न कराने का फैसला लिया गया। सोमनाथ ने पुष्टि की कि उन्होंने विवाद के आलोक में ‘निलावु कुदिचा सिम्हंगल’ (जिसका अनुवाद – लायंस दैट ड्रिंक द मूनलाइट) पुस्तक का प्रकाशन वापस लेने का फैसला किया है।
संगठन के शीर्ष तक पहुंचने में कई चुनौतियां
सोमनाथ की आत्मकथा के बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि किसी संगठन में शीर्ष पद तक पहुंचने की यात्रा के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को कुछ चुनौतियों से गुजरना होता है। सोमनाथ उस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें दावा किया गया था कि उनकी आत्मकथा में उनसे पहले इसरो चीफ रहे के सिवन के बारे में कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां हैं।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी- ISRO के प्रमुख ने कहा, “ऐसे प्रमुख पदों पर रहने वाले व्यक्तियों को कई चुनौतियों से गुजरना पड़ सकता है। उनमें से एक संगठन में पद पाने के संबंध में चुनौतियां हैं।” उन्होंने कहा कि ये ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे हर किसी को गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया, “अधिक व्यक्ति एक महत्वपूर्ण पद के पात्र हो सकते हैं। मैंने बस उस विशेष बिंदु को सामने लाने की कोशिश की। मैंने इस संबंध में किसी विशेष व्यक्ति को लक्षित नहीं किया।”
आत्मकथा का मकसद आलोचना नहीं, प्रेरित करने की कोशिश
सोमनाथ ने स्वीकार किया कि आत्मकथा में चंद्रयान-2 मिशन की विफलता की घोषणा के संबंध में स्पष्टता की कमी का उल्लेख किया है। इसरो अध्यक्ष ने दोहराया कि उनकी आत्मकथा उन लोगों को प्रेरित करने का एक प्रयास है जो जीवन में चुनौतियों और बाधाओं से लड़कर कुछ हासिल करना चाहते हैं, न कि किसी की आलोचना करना चाहते हैं।