30 C
Mumbai
Thursday, March 28, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

दिल्ली दंगों पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: “विरोध के अधिकार और आतंकवाद के बीच का फर्क होता जा रहा धुंधला, ये लोकतंत्र के लिए दुखद..!”

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन छात्र एक्टिविस्ट नताशा नरवाल (Natasha Narwal), देवांगना कलिता (Devangna Kalita) और आसिफ इकबाल (Asif Iqbaal) को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने मंगलवार को इन तीनों छात्रों को जमानत पर छोड़ने का आदेश देते हुए विरोध के संवैधानिक अधिकार के बारे में सरकार की सोच और लोकतंत्र पर उसके असर के बारे में बेहद अहम टिप्पणियां की हैं. दिल्ली पुलिस ने इन तीनों छात्रों को उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के मामले में आरोपी बनाया है. उन्हें गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (UAPA) के बेहद सख्त प्रावधानों के तहत आरोपी बनाया गया है.

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस ए जे भंभानी की बेंच ने तीनों छात्रों को जमानत पर छोड़ने का फैसला सुनाते हुए कहा, “हम यह कहने को विवश हैं कि ऐसा लगता है असहमति को दबाने की बेचैनी में डूबी सरकार की नज़र में संविधान में दिए गए विरोध के अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच का फर्क धुंधला होता जा रहा है. अगर यह मानसिकता ऐसे ही बढ़ती रही, तो यह लोकतंत्र के लिए दुखद होगा.”

दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों छात्रों को 50-50 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड और दो स्थानीय मुचलके जमा करने पर जमानत देने का आदेश दिया है. दिल्ली दंगों के सिलसिले में देवांगना कलिता पर चार और नताशा नरवाल पर तीन केस किए गए हैं. उनके वकील अदित पुजारी ने बताया कि उन्हें तीनों मामलों में जमानत मिल गई है और अब उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाएगा.

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

हाईकोर्ट ने तीनों छात्रों के वकीलों को आदेश की कॉपी जल्द से जल्द मुहैया कराए जाने का निर्देश भी दिया है. कोर्ट ने तीनों आरोपी छात्रों से कहा है कि वे अपने फोन नंबर स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी को मुहैया कराएं और अपने निवास स्थान में कोई बदलाव होने पर पुलिस को सूचित करें. उन्हें किसी भी गवाह से संपर्क न करने और सबूतों से छेड़छाड़ न करने का निर्देश भी दिया गया है.

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ इकबाल तान्हा ने अपनी जमानत की अर्जी खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ट्रायल कोर्ट ने आसिफ इकबाल की जमानत की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उस पर दंगों की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है और पहली नजर में आरोप सही लग रहे हैं.

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

दिल्ली हाईकोर्ट में भी पुलिस ने इन्हीं दलीलों के आधार पर जमानत का विरोध किया था. लेकिन बेंच ने पुलिस की दलीलों को नहीं माना. तान्हा के वकील ने कहा कि दंगों के दौरान उनका मुवक्किल न तो दिल्ली में मौजूद था और न ही वो किसी भी दंगे वाली जगह पर गया था. वकील ने कहा कि तान्हा को दंगों के साथ किसी भी रूप में जोड़ने का कोई सबूत मौजूद नहीं है.

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here