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Wednesday, April 24, 2024

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धनबल का यूपी चुनाव में बढ़ता प्रभाव, भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं

ये सारी जानकारी ADR की रिपोर्ट पर ही आधारित

इस बात की तस्दीक आज एडीआर की वह रिपोर्ट दे रही है कि किस तरह राजनीत में धनबल और बाहुबल का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है जिसके आंकड़े आज आपके सामने पेश हैं. ज्ञात हो कि यह रिपोर्ट यूपी के चुनावों पर आधारित हैइसे सिर्फ यूपी के चुनावों को लेकर ही तैयार किया गया है जिसमें 2004 से लेकर अब तक के यूपी में हुए सभी विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव मात्र ही शामिल किये गये हैं.

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धनबल का यूपी चुनाव में बढ़ता प्रभाव

उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के उत्तर प्रदेश में 2004 से लोक सभा और विधानसभा चुनावों में सांसदों, विधाज्ञात हो कि यह रिपोर्ट यूपी के चुनावों पर ही आधरित है इसे सिर्फ यूपी के चुनावों को लेकर ही तैयार किया गया हैयकों और उम्मीदवारों के वित्तीय और आपराधिक मामलों का विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट में संसदीय और राज्य विधानसभा के 21229 प्रत्याशियों का विश्लेषण शामिल है, जिसमें संसदीय और राज्य विधानसभा के 1544 विजयी सांसदों और विधायकों का ब्यौरा भी है। यह जानकारी 2007, 2012 और 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावो और 2004, 2009, 2014 और 2019 में उत्तर प्रदेश लोक सभा चुनावों और उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोक सभा उपचुनावों से पहले उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत शपथपत्रों पर आधारित है।

ADR के इस विश्लेषण में पाया गया कि संसदीय और राज्य विधानसभा के 21229 प्रत्याशियों में से 3739 ((18 प्रतिशत) उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले घोषित है जिसमें से 2299 ((11 प्रतिशत) उम्मीदवारों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित है। वही वर्ष 2004 से विजयी 1544 सांसदों/विधायकों में से 604 पर आपराधिक मामले और 380 ने अपने घोषणा पत्र में गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

बात अगर पार्टी वार उम्मीदवारों की करे तो 2004 से कांग्रेस से चुनाव लडने वाले 1102 में से 325, बीजेपी के 1410 में से 473, बीएसपी के 1466 में से 527 , समाजवादी पार्टी के 1329 में से 541, आरएलडी के 584 में से 114 और 6725 में से 612 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है।

वही गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो कांग्रेस से चुनाव लडने वाले 174, बीजेपी के 279, बीएसपी के 345 , सपा के 325, आरएलडी के 80 और 389 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने हलफनामों में यह जानकारी दी है.

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वर्ष 2004 से कांग्रेस के 88 में से 31 सांसदों और विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है। वहीँ बीजेपी के 573 में से 225, बीएसपी के 363 में से 125, सपा के 432 में से 184 , आरएलडी के 29 में से 6 और 20 में से 15 निदर्लीय सांसदों और विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।

वही कांग्रेस के 18, बीजेपी के 163, बीएसपी के 71, सपा के 98, आरएलडी के 4 और 13 निर्दलीय सांसदों और विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

अगर बात प्रत्याशियों की वित्तीय पृष्ठभूमि की जाये तो 21229 उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 1.46 करोड है। वही 2004 से विजयी 1544 सांसद और विधायकों की औसतन सम्पत्ति 4.60 करोड रूपये है।

बीजेपी के 1410 उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 3.73 करोड, कांग्रेस के 1102 उम्मीदवार की 4.60 करोड, बीएसपी के 1466 प्रत्याशियों की 4.55 करोड, सपा के 1329 उम्मीदवार की 3.35 करोड और निर्दलीय 6725 उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 39.49 लाख है।

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वही दलवार सांसदों और विधायकों की बात करें तो बीजेपी के 573 सांसदों और विधायकों की औसतन सम्पत्ति 6.39 करोड, कांग्रेस के 88 MP MLA s की 5.53 करोड, बीएसपी के 363 सांसदों, विधायकों की 3.69 करोड, सपा के 432 सांसदों, विधायकों 2.84, और निर्दलीय 20 सांसदों, विधायकों की औसतन सम्पत्ति 2.97 करोड है।

बहरहाल जिस तरह से राजनीति में पूंजीपतियों और बाहुबलियों ने सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर आजमाइश शुरू की है वह आने वाले दिनों में लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है. बकौल यूपी इलेक्शन वॉच ADR उत्तर प्रदेश के प्रमुख संजय सिंह, राजनीति में अपराधियों के रोकने के लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वह कमजोर साबित हो रहे हैं, तमाम प्रयासों के बाद भी चुनावी राजनीति में अपराधियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है और यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है.

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