गुजरात हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रवक्ता साकेत गोखले को क्राउड फंडिंग के जरिए एकत्र धन के कथित दुरुपयोग से जुड़े एक मामले में सोमवार को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया। जस्टिस समीर दवे ने गोखले से कहा कि वह आरोपपत्र दायर होने के बाद ही अदालत का रुख करें। जस्टिस दवे ने कहा, हम आरोपपत्र दायर होने के बाद ही याचिका पर विचार करेंगे।
तृणमूल नेता ने हाल ही में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद एक सत्र अदालत और अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वह पांच जनवरी से न्यायिक हिरासत में हैं और अहमदाबाद की एक जेल में बंद हैं।
गोखले की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता असीम पंड्या ने राहत की मांग करते हुए कहा कि गोखले के खिलाफ जालसाजी सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कड़ी धाराएं जानबूझकर लगाई गई हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें जमानत नहीं मिले।
उन्होंने कहा, ‘गोखले द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए एकत्र किए गए धन में जालसाजी का कोई तत्व नहीं था, जिसका उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा भी किया जाता है। वह निर्दोष हैं और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। वह क्राउडफंडिंग के जरिए प्राप्त दान पर निर्भर रहने वाले एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। जैसे ही वह टीएमसी में शामिल हुए, उन्होंने अपनी नेकनीयती साबित करने के लिए धन स्वीकार करना बंद कर दिया।
धन के दुरुपयोग या व्यक्तिगत उपयोग के आरोपों पर पांड्या ने हाईकोर्ट से कहा कि चूंकि गोखले एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं, इसलिए इस बात का विभाजन नहीं किया जा सकता है कि इतना धन अभियान चलाने के लिए है और इतना व्यक्तिगत उपयोग के लिए है।
गोखले को अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच ने 30 दिसंबर, 2022 को क्राउडफंडिंग के जरिए एकत्र किए गए धन के कथित दुरुपयोग के मामले में दिल्ली से गिरफ्तार किया था। वह आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 467 (जालसाजी) के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं। अहमदाबाद के एक निवासी की शिकायत पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसने ऑनलाइन गोखले को 500 रुपये दान करने का दावा किया था।