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Thursday, May 2, 2024

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फडणवीस का दावा, BJP-NCP का गठबंधन 2019 में हुआ, पवार के यू-टर्न के बाद राष्ट्रपति शासन सहमति से लगा

महाराष्ट्र में सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा? कई बार इस सवाल का जवाब प्रदेश के राजनीतिक मौसम को भांपने का दावा करने वाले धुरंधरों के पास भी नहीं होता। इसी बीच डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार की सहमति के बाद ही 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था।

दरअसल, जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिरी तो नजरें भाजपा, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस जैसे क्षत्रपों पर रही। शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार गिरने के बाद शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। भाजपा के सहयोग से बनी इस सरकार में डिप्टी सीएम बने कद्दावर भाजपाई देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा बयान दिया है।

नवंबर, 2019 में ‘आधी रात’ बनी सरकार
फडणवीस का दावा है कि 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन शरद पवार की सहमति से लागू हुआ था। मुंबई में एक मीडिया चैनल के कॉन्क्लेव में फडणवीस ने बताया कि एनसीपी के साथ उन्होंने सरकार कैसे बनाई थी। आधी रात के बाद अचानक गवर्नर हाउस पहुंचे फडणवीस ने अजीत पवार के साथ तड़के शपथ ली थी। 72 घंटे से भी कम समय तक चली इस सरकार के मुखिया को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर, 2019 को शपथ दिलाई थी।

मंत्री पद बांटने पर भी हुए अंतिम फैसले
नाटकीय राजनीति और सियासत की उठापटक के बीच सरकार गठन की संभावनाओं और राष्ट्रपति शासन के सवाल पर फडणवीस ने कहा कि 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने शरद पवार से सरकार बनाने की संभावनाओं पर बात की। किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में पवार के साथ पोर्टफोलियो बांटने पर भी मंथन हो चुका था।

फैसला शरद पवार की सहमति से लिया 
बकौल फडणवीस, सरकार बनने के बाद टकराव की आशंका खत्म करने के मकसद से गार्डियन मिनिस्टर की जिम्मेदारियों को भी लगभग अंतिम रुप दिया जा चुका था। हालांकि, तमाम चर्चाओं के बावजूद पवार ने यू टर्न ले लिया और फैसले से पलट गए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता के बीच राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला शरद पवार की सहमति से लिया गया था।

पांच साल पहले के इलेक्शन में कितनी सीटें मिलीं
गौरतलब है कि 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 2019 के चुनाव में भाजपा को 105 सीटें मिली थीं। चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था। शिवसेना की झोली में 56 सीटें गई थीं। 24 अक्टूबर को नतीजों की घोषणा के बाद आई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भाजपा और शिवसेना का टकराव मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर हुआ था। गतिरोध दूर नहीं होने पर राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया था।

पवार के सुझाव पर फडणवीस के घर तैयार हुआ लेटर
राष्ट्रपति शासन से पहले पवार की सहमति पर फडणवीस ने कहा कि स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में राज्यपाल को हर राजनीतिक दल से पूछना होता है कि क्या वह सरकार बनाने का दावा करना चाहते हैं। एनसीपी ने सरकार बनाने की पहल करने से इनकार कर दिया। इसका पत्र मुंबई में मेरे आवास पर टाइप किया गया। पवार ने कुछ सुधार सुझाए, जिसके आधार पर पत्र में बदलाव किए गए। इसके बाद राज्यपाल को चिट्ठी भेजी गई।

पवार ने भाजपा से हाथ क्यों नहीं मिलाए?
फडणवीस के अनुसार, फैसले से पीछे हटने के कारण पर पवार ने उन्हें बताया कि वह इतने कम समय में बीजेपी के साथ गठबंधन का फैसला नहीं ले सकते। पवार ने कहा कि वह पहले राज्य का दौरा करेंगे और लोगों को समझाने के बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने के अपने फैसले की घोषणा करेंगे। इस प्रोसेस को पूरा करने में उन्हें एक महीने का समय लगेगा।

पवार ने पलटी मारी, भतीजे अजीत ने बनाई सरकार
उन्होंने कहा कि पवार के यू टर्न लेने के बाद उनके भतीजे अजीत पवार ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रयास किया। फडणवीस ने बताया कि अजीत पवार के साथ उन्होंने शपथ ली, लेकिन पवार ने शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने का ऐलान कर दिया।

एकनाथ शिंदे की बगावत से गिरी सरकार
महाराष्ट्र की राजनीति में एक और मोड़ उस समय आया जब महाविकास अघाड़ी की सरकार एकनाथ शिंदे की बगावत के कारण गिरी। 39 विधाायकों के समर्थन का दावा करते हुए एकनाथ शिंदे ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई। अधिक सीटें होने के बावजूद भाजपा के कोटे में डिप्टी सीएम की कुर्सी आई। एकजुटता की कवायद के बीच एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के तीन दर्जन से अधिक विधायकों अलग-अलग राज्यों के होटलों में छिपना भी काफी समय तक चर्चा में रहा।

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