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Thursday, May 2, 2024

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मणिपुर की कुकी मंत्री विधानसभा सत्र में इकलौती महिला नहीं होंगी शामिल; विद्वानों ने की शांति की अपील

राज्य के कुकी समुदाय से आने वाली मणिपुर की मंत्री नेमचा किपगेन ने कहा है कि वे 29 अगस्त को राज्य के विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होंगी। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि उन सभी दस कुकी विधायकों को सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है, जिन्होंने पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की है। 

नेमचा किपगेन राज्य की कैबिनेट में अकेली महिला मंत्री हैं। किपगेन ने राज्य के विधानसभा सत्र से छुट्टी मांगी है। मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष सत्यब्रत को लिखे एक पत्र में किपगेन ने बताया कि उन्हें सुरक्षा के आधार पर इंफाल की यात्रा न करने की सलाह दी गई है। किपगेन ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के लिए सुरक्षा के आधार पर इंफाल में रहना संभव नहीं है। 

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने सुरक्षा पेशेवरों से भी परामर्श किया है, जो दृढ़ता से अनुशंसा करते हैं कि मैं इंफाल, मणिपुर में अस्थिर कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण सावधानी बरतूं और सत्र में भाग लेने से परहेज करूं।’ उन्होंने आगे कहा कि इंफाल में चल रहे संकट के कारण और कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए वह मणिपुर विधानसभा के आगामी एक दिवसीय सत्र में भाग नहीं लेंगी।

कुकी विधायकों को मिलेगी पूरी सुरक्षा: बीरेन
इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य का विभाजन नहीं होगा। उन सभी दस कुकी विधायकों को सुरक्षा का आश्वासन दिया, जिन्होंने पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की है। उल्लेखनीय है कि दस विधायकों ने 16 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपकर पहाड़ी जिलों के लिए एक अलग मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि मैतेई समूहों से उनकी जान को खतरा है।

मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि तीन मई को भड़की हिंसा पूर्व नियोजित थी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कुकियों के खिलाफ नहीं है और असम राइफल्स और राज्य पुलिस के बीच हालिया झड़प एक गलतफहमी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिंसा के पीड़ितों के लिए उसी स्थान पर घर बनाने की योजना लेकर आई है, जहां वे नष्ट होने से पहले थे। उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार को मकानों के पुनर्निर्माण के लिए करीब 150 करोड़ रुपए के बजट की जरूरत है। मैं फंड के लिए गृह मंत्री से अनुरोध करूंगा। वर्तमान में, राज्य सरकार 3000-4000 पूर्वनिर्मित घर बना रही है और परिवारों को वहां स्थानांतरित कर रही है। पूर्वनिर्मित घर चुराचांदपुर और कांगपोकपी जैसे पहाड़ी जिलों के साथ-साथ इंफाल जैसे घाटी क्षेत्रों में भी बनाए जा रहे हैं।’

इस बीच,  मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दस कुकी विधायकों के संपर्क में रहने के दावे का कुकी विधायकों ने खंडन किया है। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री के संपर्क में नहीं हैं और यह हो सकता है सीएम की ओर से उनके और कुकी-जो समुदायों के बीच गलतफहमी पैदा करने के लिए यह प्रयास किया गया हो।

मणिपुर में शांति की अपील
वहीं हिंसाग्रस्त राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के दो स्कॉलर राज्य में शांति की अपील करने साथ आए। गुवाहाटी में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. येंगखोम जिलंगंबा और आमिन गांव के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. थांगजाखुप टोम्बिंग ने गुवाहाटी में एक नागरिक समाज द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में एक मंच साझा किया। अपने भाषणों में दोनों विद्वानों ने युद्धरत समुदायों से एक साथ आने और हिंसा को समाप्त करने का आग्रह किया। 

उन्होंने सरकार से संघर्ष के मूल कारणों को दूर करने के लिए कदम उठाने का भी आह्वान किया। डॉ. जिलंगंबा ने कहा कि मणिपुर का संकट सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय मुद्दा है। उन्होंने कहा कि पूरे पूर्वोत्तर भारत को केंद्र सरकार से वह ध्यान नहीं मिला है, जिसका वह हकदार है।

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