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Thursday, April 25, 2024

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‘मैंने प्यार किया’ फेम संगीतकार रामलक्ष्मण का दिल का दौरा पड़ने से निधन, गीत-साज-आवाज व रवि निगम की ओर से भावभीनि श्रद्धांजलि

‘मैंने प्यार किया’ फेम संगीतकार रामलक्ष्मण का दिल का दौरा पड़ने से निधन, संगीत श्रोताओं के बीच जाना माना नाम और ‘मैंने प्यार किया’ फेम ‘कबूतर जा-जा’ और ‘देवा हो देवा, गनपति देवा… जैसे लोगों के जुवां पर रटे और गुन-गुनाये जाने वाले कई अनगिनत गीतों को कम्पोज (स्वरबद्ध) करने और संगीत देने वाले राम-लक्ष्मण की जोड़ी के लक्ष्मण उर्फ विजय पाटिल का निधन फिल्म जगत और संगीत जगत के लिये अपूर्णीय क्षति है।

देश ने एक ऐसे महान शख्सियत को खो दिया जो अपने काम से महान के अलावा अपने नेक शख्सियत से भी महान थे… को गीत-साज-आवाज की ओर से भावभीनि श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ – रवि जी. निगम

ऐसे थे दिल के धनी ‘मैंने प्यार किया’ फेम संगीतकार रामलक्ष्मण…

ये ऐसा मैं सुनी-सुनायी बातों से नहीं कह रहा, मैंने ऐसा अपने अनुभव के आधार पर ही कहा है, जब मैं अपने एक ‘टीवी संगीत प्रोग्राम’ (तीन कडियों का संगम – गीत-साज-आवाज) के लिये बतौर ज्यूरी साइन करने के उनके माहिम (मुंबई) निवास पर अपने मित्र शैलेंद्र जाधव के साथ पहुँचा, मिलने से पहले उनसे सिर्फ फोन पर ही बात हुई थी, कि सर मैं आपको अपने ‘टीवी म्यूजिकल प्रोग्राम में बतौर ज्यूरी साइन करना चाहता हूँ, तो उन्होने सिर्फ इतना ही कहा आइये पहले अपने प्रोग्राम की रूप-रेखा (कॉन्सेप्ट) सुनाइये उसके बाद ही कुछ बोल सकूँगा।

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जब हम उनसे मिलने उनके निवास पहुँचे तो मन में एक ही खयाल था कि क्या वो मेरे प्रोग्राम के लिये तैयार होगें ? जब मैंने उन्हे अपना कॉन्सेप्ट सुनाया और अपने विचार व्यक्त किये कि मैं इस प्रोग्राम के माध्यम से देश के उन नौजवानों को वो प्लेटफॉर्म देना चाहता हूँ जो भारतीय संगीत को वापस से अपने उसी मुक़ाम पर स्थापित करें जो मुक़ाम उसे हाँशिल था, इतना ही नहीं इस प्रोग्राम के जरिये उन अंधकार में लुप्त प्रतिभाओं को लाया जा सके जो आर्थिक स्थिति या म्यूजिक इंडस्ट्री तक पहुँच बनाने असमर्थ हैं। साथ ही मैंने जब उनसे ये गुजारिश की कि सर मैं ये प्रोग्राम आप जैसे लोगों के सहियोग से बनाना चाहता हूँ।

तो वो कुछ देर के लिये शांत मुद्रा में रहे और बोले आप मुझसे क्या चाहते हो ? मैंने कहा सर मैं आपको बतौर ज्यूरी साइन करना चाहता हूँ पर मैं आपको ज्यादा भुगतान नहीं कर सकता हूँ मेरी सोंच तो नेक है पर मैं आर्थिक रूप से कमजोर हूँ इस लिये नेक काम में आपका सहियोग आपेक्षित है, तो उन्होने बात बीच में काटते हुये बोला क्या चाहते हो क्या मैं आप के लिये मुफ्त में काम करूँ ? मैं इतना सुन कर सन्न रह गया और डर गया कि सायद अब यहाँ पर अपना काम नहीं होने वाला है।

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सामने से सवाल आया साइनिंग अमाउंट कितना दोगे, मैंने डरते हुये कहा सर ज्यादा तो नहीं है… अरे फिर भी कितना है, मैंने घबराते हुये बोला सर एक हजार रूपये…. बोले बस ? मैंने कहा जी सर बस… बोले मेरा नाम सुना है, मैंने कहा जी बहुत, बस इसी लिये तो आया हूँ… बोले तो वो भी एक हजार रूपये लेकर ? सर बहुत उम्मीद लेकर आया हूँ… अब आपके हाथ है..। तुरंत सामने से जवाब आया पेपर तैयार हैं, तो मैंने कहा सर लेटर पैड में ही है.., बोले दो मुझे देखता हूँ… और पेपर हाथ में लेने के बाद बोले कोई बात नहीं बाकी का कैसे और क्या करोगे.., मैंने दबे सुर में कहा सर जैसा आप उचित समझेंगे, बोले मेरे आने-जाने का खर्च आपका होगा आपको ही देखना पडेगा और बाकी जो हो उसे आप देख लेना हो तो देना न हो तो मत देना।

ऐसे थे नेक दिल रामलक्ष्मण जो कला को पूजा की तरह मानते थे व्यापार की तरह नहीं, ऐसा नहीं कि उन्होने सिर्फ मेरा मन रखने के लिये ही किया हो, वो दिन मुझे आज भी याद है और मुंबई वासियों को भी अवश्य याद मैंने अपने प्रोग्राम का पहला ऑडिशन 25-26 जुलाई 2005 को रखा था वो मनहूश दिन सभी को याद है जब मुंबई को बाढ ने पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया था, 26 जुलाई को बारिस ने दस्तक दे दी थी,तब ये हो रहा था कि प्रोग्राम होगा भी कि नहीं, जब मेरे सहियोगी साथी शैलेंद्र जाधव ने फोन पर रामलक्ष्मण जी से बात की तो उनका जवाब था कि मैं तो शायन तक आ चुका हूँ और मेरी गाडी पानी में फसकर खराब हो गयी है आप अपनी गाडी भेजो मैं आता हूँ, और ऐसे विषम परिस्थिति में भी वो प्रोग्राम पहुँचे और प्रोग्राम पूरा कराया।

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और दूसरे दिन का प्रोग्राम कैंसल करना पडा, और दुर्भाग्य से मेरा प्रोग्राम भी उसी की बलि चढ गया और उनके इतने बडे सहियोग का लाभ नहीं मिल सका क्योंकि मेरा फाइनेन्सर धोका देकर निकल गया, लेकिन आश आज भी जिंदा है मैं रामलक्ष्मण जी के सहियोग का सदैव आभारी रहूँगा, मौका मिलते ही मैं उस सपने को भी पूरा अवश्य करूँगा।

लता मंगेशकर

दिग्गज संगीतकार विजय पाटिल उर्फ़ लक्षमण का शनिवार की सुबह दिल को दौरा पड़ने से निधन हो गया। रिपोर्ट्स के अनुसार वह कोरोना संक्रमित नहीं थे, उन्होंने हाल ही में कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज ली थी। उसके बाद से वह बीमार चल रहे थे। शनिवार की सुबह अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन से मनोरंजन जगत में शोक की लहर है। दिग्गज गायिका लता मंगेशकर ने संगीतकार विजय पाटिल के निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्हें सोशल मीडिया के जरिये श्रंद्धाजलि दी है। लता मंगेशकर ने लिखा-‘अभी पता चला है कि बहुत गुणी और लोकप्रिय संगीतकार राम लक्ष्मण जी (विजय पाटिल) का स्वर्गवास हुआ है। वह बहुत अच्छे इंसान थे। मैंने उनके कई गाने गाये जो काफी लोकप्रिय हुए। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।’

विजय पाटिल पहले रामलक्ष्मण के लक्ष्मण के नाम से मशहूर थे। उनसे साथ राम की जोड़ी थी और हिंदी सिनेमा जगत में राम-लक्ष्मण मिलकर संगीत देते थे। हालांकि, अचानक राम का निधन हो गया था। इसके बाद विजय पाटिल ने अपना पूरा नाम ही रामलक्ष्मण रख लिया और इस नाम से उन्होंने कई हिट गाने दिए।

रामलक्ष्मण ने करीब 150 फिल्मों में संगीत दिया था जिसमें हिंदी के अलावा मराठी और भोजपुरी भी शामिल है। मराठी फिल्ममेकर और अभिनेता दादा कोंडके ने उन्हें अपनी फिल्म ‘पांडु हवलदार’ के लिए बतौर संगीतकार साइन किया था। इसके बाद रामलक्ष्मण ने सूरज बड़जात्या की कई फिल्मों में कई हिट गाने कम्पोज किये, जिसमें   ‘मैंने प्यार किया’, ‘हम आपके हैं कौन ‘ और ‘हम साथ साथ हैं’ भी शामिल हैं। इन फिल्मों  के सारे गाने आज भी दर्शकों के बीच काफी पसंद किये जाते हैं । इसके अलावा उन्होंने ‘एजेंट विनोद’, ‘तराना’ और ‘अनमोल’ जैसी फिल्मों में भी संगीत दिया था। विजय पाटिल उर्फ़ राम-लक्ष्मण का निधन म्यूजिक इंडस्ट्री की अपूरणीय क्षति है।

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