केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल में अपने 20 हजार से अधिक ग्राहकों के करोड़ों रुपये के निवेश से धोखाधड़ी करने के आरोप में एक लघु बचत बैंक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तीन साल पुराने मामले को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को स्थानांतरित न करने के अपने आदेश का उल्लंघन करने के लिए राज्य आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके कुछ दिनों के भीतर केंद्रीय एजेंसी ने रविवार को मामला दर्ज किया।
मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी का हवाला देते हुए अधिकारियों ने कहा कि एक दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के नए निर्देशों के बाद सीआईडी ने 16 सितंबर को मामले का प्रभार एजेंसी को सौंप दिया था। निर्देशों में सीआईडी पर जुर्माना लगाना भी शामिल था।
इससे पहले 24 अगस्त को जलपाईगुड़ी में उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह ‘अलीपुरद्वार महिला रिंदन समाबे समिति’ के प्रबंधन से संबंधित मामले की जांच अपने हाथ में ले, जिस पर अपने 21,163 ग्राहकों द्वारा जमा किए गए धन की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
अधिकारियों ने बताया कि सूर्यनगर निवासी शिकायतकर्ता आलोक रॉय के अनुसार आरोप है कि 18 जनवरी 2000 को ढाकेश्वरी मोड़ पर बने एक लघु बचत बैंक ने कई एजेंटों को लोगों से पैसे लेने के लिए नियुक्त किया था।
अधिकारियों ने कहा कि यह भी आरोप है कि बैंक प्राधिकरण ने उचित मानदंडों का पालन किए बिना अवैध और दुर्भावनापूर्ण तरीके से विभिन्न लोगों को बड़ी संख्या में ऋण जारी किए और जमाकर्ताओं को इस कदाचार के कारण बैंक से उनके पैसे वापस नहीं मिले।
उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता के अनुसार इससे सामान्य जमाकर्ताओं को आर्थिक नुकसान हुआ और बैंक के कुछ पदाधिकारियों को अवैध आर्थिक लाभ भी हुआ। अधिकारियों ने कहा कि यह भी आशंका है कि क्या बैंक के पास इस तरह की गतिविधि करने के लिए उचित प्राधिकारी से कोई उचित लाइसेंस या अनुमति है।