तेलंगाना के हैदराबाद में हो रही कांग्रेस कार्य समिति ‘सीडब्ल्यूसी’ की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने शुरुआती संबोधन में भाजपा पर ‘बगलडूब’ दांव चल दिया है। अपने इस दांव के जरिए खरगे ने भाजपा को बता दिया है कि दक्षिण भारत में कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना फतह करने के लिए कांग्रेस पार्टी जुट गई है। ओपनिंग रिमार्क्स में मल्लिकार्जुन खरगे ने सीधे तौर पर मोदी सरकार पर हमला बोलने की बजाए, ‘बगलडूब’ दांव की मदद ली। यह भारतीय कुश्ती का एक प्रसिद्ध दांव है। इस दांव में एक पहलवान, सामने वाले पहलवान की बगल से निकल जाता है। यानी उसकी पकड़ से बाहर निकलकर वह उसे परास्त कर देता है। कई बार यह दांव, किसी दूसरे दांव को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खरगे ने भी कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में वही किया है। उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ ऐसा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा, जिस पर वे बोले न हों। सीधे तौर से उन्होंने पीएम मोदी पर कटाक्ष नहीं किया, मगर अप्रत्यक्ष तौर से कोई कमी भी नहीं छोड़ी।
कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपनी शुरुआती टिप्पणियों में जो कुछ कहा, उसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष से जुड़ीं अनेक बातें कवर हो गईं। खरगे ने ‘हैदराबाद की मुक्ति’ से बात शुरू कर उसे ‘सोनिया गांधी के त्याग’ से गुजारते हुए किसान, युवा बेरोजगार, महंगाई, जवान, ईडी, सीबीआई, विपक्ष, गरीब, अमीर, भारत जोड़ो यात्रा और जी20 का जिक्र करते हुए समाप्त किया। तेलंगाना में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस, भाजपा और सत्तारूढ़ बीआरएस के बीच त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होने के आसार हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया है। ऐसी संभावना है कि राज्य में नवंबर-दिसंबर में चुनाव हो सकते हैं। पिछले माह ही कांग्रेस कार्य समिति का गठन हुआ था। उसकी बैठक हैदराबाद में हो रही है। 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद को मुक्ति मिली थी। देश की आजादी के 13 महीने के बाद ये इलाका आजाद हुआ। बतौर खरगे, इसलिए रविवार को सीडब्ल्यूसी बैठक के अलावा एक जनसभा भी रखी गई है। इससे पहले हैदराबाद में 1953, 1968 और 2006 में एतिहासिक कांग्रेस महाधिवेशन हुए हैं।
सोनिया का त्याग, कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, इस बैठक में देश के हर हिस्से के नेताओं की मौजूदगी है। उदयपुर संकल्प के तहत कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी में कमजोर तबकों, नौजवानों और महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व दिया है। 25 वर्षों से अधिक समय तक कांग्रेस को नेतृत्व देने वाली सीपीपी चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बारे में खरगे ने कहा, उन्होंने 1998 में कठिन दौर में कांग्रेस को संभाला था। उनका कमिटमेंट, त्याग और सोच, कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। बतौर खरगे, हम उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि जल्दी ही दूसरे राज्यों के साथ तेलंगाना में भी हमारी सरकार बनेगी। राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकली गई 4,000 किलोमीटर लंबी एतिहासिक भारत जोड़ो यात्रा में गरीब, वंचित, महिला, युवा, किसान, बुद्धिजीवी, फौजी और सभी वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। राहुल ने लोगों के बीच भाईचारे का संदेश दिया। पार्टी को नयी ऊर्जा मिली। सीडब्ल्यूसी में खरगे ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक कांग्रेस के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सराहना की। इन दोनों राज्यों में विरोधी ताकतों का मुकाबला करते हुए कांग्रेस ने सरकार बनाई है। कांग्रेस ने आम जनता के हक में आवाज उठाकर, मोदी सरकार को कई महत्वपूर्ण फैसले लेने के लिए मजबूर भी किया।
खरगे ने गंभीर आंतरिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए सबसे पहले मणिपुर का जिक्र किया। वहां की दिल दहला देने वाली घटनाओं को पूरी दुनिया ने देखा है। सरकार ने वहां की लपटें, हरियाणा में नूंह तक पहुंचने दी। उस वजह से राजस्थान, यूपी और दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव फैला। ये घटनाएं आधुनिक, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष भारत की छवि पर धब्बा लगाती हैं। देश का ‘सर्वधर्म समभाव’ बिगाड़ा जा रहा है। ऐसी ताकतों को बेनकाब करते रहना है। पिछले 5 साल में एक साधारण थाली की कीमत 65 फीसदी बढ़ गई है। करीब 74 फीसदी लोग पौष्टिक आहार से वंचित हैं। दाल की कीमत एक साल में 37 फीसदी तक बढ़ गई है। हमारी देश में 65 फीसदी आबादी नौजवानों की है। देश में बेरोजगारी, उनके सपनों को लगातार रौंद रही है। टॉप 1 फीसदी सबसे अमीर लोगों के कब्जे में देश की 40 फीसदी दौलत है। निचले स्तर पर 50 फीसदी जनता के पास सिर्फ़ 3 फीसदी दौलत है। सरकारी नीतियों के कारण अमीर और अमीर हो रहे हैं, जबकि गरीब और गरीब हो रहा है। यह खाई लगातार और गहरी हो रही है। 2021 की जनगणना न कराने से 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून और करीब 18 फीसदी लोग, मनरेगा से बाहर हो गए हैं।
मोदी सरकार चंद पूंजीपति मित्रों के हवाले कर रही पीएसयू
देश की बहुमूल्य पीएसयू को मोदी सरकार, चंद पूंजीपति मित्रों के हवाले कर रही है। खरगे ने कहा, उनके फायदे के लिए नीतियां बदली जा रही हैं। उनके हक में कानून बन रहे हैं। गत दिनों पीएम के करीबी कारोबारी की कंपनियों में 20,000 हजार करोड़ रुपे का शेल कंपनियों द्वारा निवेश हुआ है। इस मामले की जांच नहीं की जा रही। सारे बड़े घोटालों पर सरकार मौन है। चीन, भारतीय हिस्से पर कैसे कब्जा कर रहा है, राहुल गांधी ने लद्दाख यात्रा के दौरान बताया है। केंद्र सरकार चीन को लगातार क्लीन-चिट देती जा रही है। सरकार, लोगों को ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था’ व ‘अमृतकाल’ का नारा दे रही है। संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। इसमें लंबे सस्पेंस के बाद चंद बातें एजेंडे के तौर पर बाहर आई हैं। सरकार, चुनाव आयोग पर पूर्ण नियंत्रण करना चाहती है। ये सरकार, विपक्ष विहीन संसद चाहती है। इंडिया गठबंधन की 3 बैठकों की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जैसे ही यह गठबंधन आगे बढ़ेगा, सरकार के हमले तेज होंगे। गठबंधन की मुंबई बैठक के बाद ईडी, आईटी और सीबीआई को सरकार ने विपक्षी नेताओं से राजनीतिक बदला लेने के लिए लगा दिया है। ये स्वस्थ लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।
जी20 की वाहवाही लूटने में लगी है सरकार
खरगे ने कहा, जी20 के आयोजन के बाद केंद्र सरकार, किस कदर खुद की वाहवाही में डूबी है। रोटेशन से होने वाली जी20 बैठक पर दिल्ली में 4,000 करोड़ रुपया खर्च हुआ है। रोटेशन में अब जी20 की लीडरशिप ब्राजील को मिल गई है। उन्होंने पंडित नेहरू के एआईसीसी के 1953 के हैदराबाद महाधिवेशन के भाषण की चंद लाइनें बताई। उन्होंने कहा था, ‘यद्यपि हमारे पास न कोई बड़ी फ़ौजी ताक़त है और न आर्थिक या माली ताक़त अच्छी हैं, फिर भी क़ौमों की पंचायत में इस देश की इज़्ज़त रोज़-बरोज़ बढ़ रही है। आज़ादी हासिल हुए पांच साल हुए हैं, पर इतने थोड़े-से समय में हिंदुस्तान ने बड़ी इज़्जत हासिल की है। इसके साथ ही इस पर नई ज़िम्मेदारियां बढ़ गई हैं। इतिहास में शायद ही इसकी कोई मिसाल हो कि किसी देश ने आज़ाद होने के पांच साल के अंदर ही ऐसा महत्व हासिल किया हो। खरगे ने कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि मोदी सरकार जश्न मनाना छोड़कर जनता के सरोकार और ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान देगी। सीडब्लूसी की बैठक में तेलंगाना तथा अन्य राज्यों व लोकसभा के चुनाव के बारे में बहुत विस्तार से चर्चा होगी। उस बाबत रणनीति बनाई जाएगी। यहां से कुछ ठोस फैसला करने के बाद ही आगे जाएंगे।