वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और लघु वित्त बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सुझाव के अनुरूप कर्ज देते समय सतर्क रहने की जरूरत है। आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों को कर्ज देते समय अति उत्साह से बचने की सलाह दी थी।
डिजिटल एक्सेलेरेशन ऐंड ट्रांसफॉर्मेशन एक्स्पो कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि एनबीएफसी और लघु वित्त बैंकों को अति उत्साह में अपनी सीमा पार नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई इस बात को लेकर सजग है कि वास्तव में बारीक रेखा कहां है। उत्साह अच्छा है, लेकिन कभी-कभी लोगों के लिए इसे पचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए सावधानी के तौर पर आरबीआई ने लघु वित्त बैंकों और एनबीएफसी को सचेत किया है कि वे इस बात को लेकर सावधान रहें कि इतनी तेजी से आगे न बढ़ें कि उन्हें बाद में किसी जोखिम का सामना करना पड़े।’
पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड ऋण जैसे असुरक्षित ऋण में तेजी को देखते हुए आरबीआई ने 16 नवंबर को ऐसे ऋण के लिए नियमों को सख्त बना दिया था और बैंकों तथा एनबीएफ को ऐसे ऋण के लिए ज्यादा जोखिम भारांश (रिस्क वेटेज) तय करने के लिए कहा था।
इसके परिणामस्वरूप आरबीआई ने असुरक्षित उपभोक्ता ऋणों पर जोखिम भारांश बढ़ा दिया और क्रेडिट कार्ड के लिए इसे 25 आधार अंक बढ़ाकर 125-150 फीसदी कर दिया। विश्लेषकों का कहना है कि इससे बैंकों की पूंजी लगत बढ़ जाएगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते बुधवार को कहा था कि असुरक्षित ऋण पर केंद्रीय बैंक का सख्त कदम वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के मकसद से एहतियात के तौर पर उठाया गया है।
उच्च जोखिम भारांश का मतलब है कि ऋणदाताओं को ज्यादा रकम अलग रखनी होगी। इससे कर्ज महंगा हो सकता है। इसके साथ ही बैंकों की कर्ज देने की क्षमता भी प्रभावित होगी क्योंकि उन्हें इसके लिए ज्यादा पूंजी अलग रखनी होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से कहा है कि वह मानदंडों का मसौदा तैयार करते समय हितधारकों से राय मांगे और प्रस्ताव ज्यादा प्रतिबंधात्मक लगे तो उन पर फिर से काम करे।
उन्होंने कहा, ‘मसौदा चरण में भी हितधारकों की राय लें और उसे ध्यान में रखते हुए अगर कुछ संशोधन करने की जरूरत हो उस पर फिर से विचार करें।’
सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में जमा राशि प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और ज्यादा कुशल होने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘जमा प्राप्त करें और अच्छा ब्याज दें लेकिन यह भी ध्यान रखें कि भारत का विकास बैंकों द्वारा उन लोगों को सहजता से ऋण देने पर निर्भर करता है तो कारोबार शुरू करना चाहते हैं और उस क्षेत्र में विकास करना चाहते हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि खुदरा निवेशक शेयर बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो अच्छी बात है। वह म्युचुअल फंड में भी निवेश नहीं करना चाह रहे हैं। बुधवार को आए आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों को खुदरा निवेशकों के दम पर पहले ही दिन 100 फीसदी से ज्यादा बोलियां मिल गईं।
सरकारी सब्सिडी के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को नि:शुल्क रखने के बारे में सीतारमण ने कहा कि वह इसे लेकर आगे की भविष्यवाणी नहीं कर सकती हैं मगर सरकार का इरादा इसे तब तक जारी रखने का है जब तक कि ज्यादातर लोगों को इसका लाभ न मिल जाएगा।