चुनावी मौसम में भारी दबाव के कारण योगी सरकार ने गोरखपुर हत्याकांड की छानबीन के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. वहीँ मामले में फरार आरोपित पुलिस वालों का अभी तक कोई सुराग़ नहीं लगा है.
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दरअसल, बीते सोमवार की देर रात गोरखपुर के कृष्णा होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ ठहरे हुए थे. इसी दौरान पुलिस उनके रूम में दाखिल हुई और सवाल-जवाब करने लगी. होटल में ही मनीष गुप्ता के साथ पुलिस कर्मियों द्वारा बुरी तरह से मारपीट की गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई.
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इस पूरे काण्ड में पुलिस पर लगातार लीपापोती करने के आरोप लगे. जब मृतक की पत्नी ने पुलिसवालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का दबाव बनाया, तब पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया.
पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि जब होटल से सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर ही अस्पताल था तो मनीष को वहां तुरंत क्यों नहीं ले जाया गया? इसके अलावा, मानसी अस्पताल से 13 किलोमीटर की दूरी पर माजूद बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचने में पुलिस ने दो घंटे का वक्त कैसे लगा दिया. वहीं, पुलिस ने घटना के समय के सीसीटीवी फुटेज भी अपने पास रख ली.
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वहीं, मामले के सुर्खियों में आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत कई नेताओं ने पीड़ित परिवार वालों से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, किसी भी कीमत पर दोषी बख्शा नहीं जाएगा. इसके साथ ही मनीष के बेटे की पढ़ाई का खर्चा और उनकी पत्नी मीनाक्षी को सरकारी नौकरी देने का भी वादा किया है. वहीँ अखिलेश यादव ने भी मुलाकात के बाद कारोबारी के परिजनों को 20 लाख रुपये देने की घोषणा की है.