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Friday, November 29, 2024

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वायु सेना प्रमुख बोले- आतंकवाद से लेकर साइबर हमलों जैसी चुनौतियां, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की जरूरत

वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य सीमा विवाद और आतंकवाद, साइबर खतरों और क्षेत्रीय अस्थिरता जैसी बहुआयामी चुनौतियां पेश करता है। उन्होंने कहा, भारत को इस अशांत समय से निकलने के लिए अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में निवेश करना चाहिए।

एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि आधुनिक युद्ध में तेजी से तकनीकी प्रगति, विषम खतरे और भू-राजनीतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संदर्भों की व्यापक समझ की जरूरत है। उनकी यह टिप्पणी दुनिया के कुछ हिस्सों में जारी युद्धों के साथ उभर रही भू-राजनीति की पृष्ठभूमि में आई है। सेमिनार का आयोजन भारतीय वायु सेना (आईएएफ), कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर (सीएडब्ल्यू) और सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (सीएपीएस) की ओर से आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा, इस कार्यक्रम ने हमें विद्वान योद्धाओं की परिभाषा को परिष्कृत करने में सक्षम बनाया है।

‘अपने कार्यों के प्रभावों की गहरी समझ रखे सैन्य पेशेवर’
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि मौजूदा बहुआयामी परिदृश्य में ऐसे सैन्यकर्मियों की जरूरत है, जो न केवल युद्ध में कुशल हों बल्कि अपने काम के प्रभावों की गहरी समझ भी रखते हों। इसलिए मेरी राय में एक विद्वान योद्धा एक सैन्य पेशवेर है, जो आज के जटिल और गतिशील सुरक्षा माहौल में युद्ध कौशल के साथ ही बौद्धिक कौशल को जोड़ता है। 

यूनानी इतिहासकार थ्यूसीदाइदीज के शब्दों का दिया हवाला
इस बिंदु पर जोर देने के लिए वायुसेना प्रमुख ने प्राचीन यूनानी इतिहासकार थ्यूसीदाइदीज के शब्दों का भी जिक्र किया। थ्यूसीदाइदीज ने कहा था कि जो समाज अपने विद्वानों को अपने योद्धाओं से अलग करता है, उसकी सोच कायरों जैसी होगी और लड़ाई मूर्खों जैसी होगी। उन्होंने कहा कि भारत की रणनीतिक संस्कृति ऐतिहासिक अनुभवों और निरंतर विकसित होने वाले भू-राजनीतिक माहौल से आकार लेती है।  

सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में निवेश की जरूरत
उन्होंने कहा, मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में सीमा विवाद और आतंकवाद से लेकर साइबर खतरों और क्षेत्रीय अस्थिरता जैसी बहुआयामी चुनौतियां हैं। इस अशांत समय से निकलने और हमारे राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए भारत को अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और आंतरिक व बाहरी सुरक्षा दोनों के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने में निवेश करना चाहिए। 

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