सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आश्वासन और लोकप्रियता के नारों के अलावा कोई काम नहीं है. अगर आप आदेश चाहते हैं, तो हम आदेश देंगे.
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प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन पर कुछ ठोस प्रस्ताव देने के लिए केंद्र, दिल्ली और राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट से 24 घंटे का समय दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि वह कल सुबह 10 बजे 30 मिनट पर बैठेगा. अगर केंद्र एक संतोषजनक तंत्र के साथ आने में विफल रहता है, तो कुछ आदेश पारित करेगा. सीजेआई ने कहा कि आपकी प्रदूषण के वायु गुणवत्ता आयोग में कितने सदस्य हैं.
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एसजी ने कहा कि 16 सदस्य हैं. कोर्ट ने कहा कि निर्देशों को लागू कराने की शक्तियां नहीं हैं. एसजी ने कहा कि मैं इस पर जवाब दूंगा. सरकार काम कर रही है. सभी चिंतित हैं और मुझे कल या सोमवार तक आयोग के बारे में जवाब देने के लिए समय दीजिए. मैं मंत्री से बात करके ही इसपर जवाब दूंगा.
सीजेआई ने पूछा कि दिल्ली सरकार के पास कितने उड़न दस्ते हैं. केंद्र सरकार के पास कितने हैं. इसपर सिंघवी ने कहा कि उड़न दस्तों की बहुलता केवल भ्रम को बढ़ाएगी. मुझे यह स्पष्ट करना चाहिए. निरीक्षण करने के लिए टीमें हैं. सीपीसीबी और प्रदूषण बोर्ड के उड़न दस्ते हैं. कोर्ट ने कहा कि आप लोग सिर्फ दलीलें देते हैं और समय बर्बाद करते हैं. फिर सिंघवी बोले कि ऐसा नहीं है.
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कई उड़न दस्ते हैं और हमने कल के हलफनामे में बताया भी है. इसके अलावा प्राधिकार काम कर रहे हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यूपी, हरियाणा और दिल्ली में विभिन्न साइट्स में उल्लंघन हुआ, जिसका जिक्र आपने हलफनामे में किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और हरियाणा का हलफनामा एक जैसा है. जुर्माना लगाकर पैसा वसूलना प्रदूषण का हल नहीं है.