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Wednesday, May 1, 2024

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एक्सचेंजों की SME शेयरों पर कुछ खास गड़बड़ियां पाई जाने के बाद सख्ती

छोटी और मझोली कंपनियों (एसएमई) के शेयरों में निवेशकों की तेजी से बढ़ती दिलचस्पी के बीच शेयर बाजारों ने ग्रेडेड सर्विलांस मेजर्स (जीएसएम) यानी चरणबद्ध तरीके से निगरानी उपायों पर अमल करने की घोषणा की है।

एक्सचेंजों ने कहा है कि एसएमई तक निगरानी व्यवस्था बढ़ाने का निर्णय बाजार नियामक सेबी के साथ हुई संयुक्त बैठक में लिया गया था। निगरानी व्यवस्था तब लागू होती है जब किसी कंपनी के वित्त में कुछ खास गड़बड़ियां पाई जाती है। निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए कई ब्रोकर निगरानी वाले शेयरों में ट्रेडिंग या खरीद रोक देते हैं।

पिछले सप्ताह जारी एक सर्कुलर में एक्सचेंजों ने कहा, ‘बाजार कारोबारियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि निगरानी व्यवस्था एक्सचेंजों द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले अन्य सभी प्रचलित निगरानी उपायों से जुड़ी होगी।

SME शेयरों के लिए निगरानी व्यवस्था सितंबर 2023 में समाप्त तिमाही से प्रभावी होगी।’ एक्सचेंज मुख्य प्रतिभूतियों की तिमाही समीक्षा के दौरान चयनित कंपनियों की पहली सूची जारी करेंगे। यह बदलाव सितंबर में एसएमई शेयरों के लिए शॉर्ट-टर्म एडीशनल सर्विलांस मेजर (एसटी-एएसएम) फ्रेमवर्क और ट्रेड टू ट्रेड सेटलमेंट की पेशकश के साथ साथ किया जा रहा है।

इस निर्णय का मकसद सट्टेबाजी गतिविधियों में कमी लाना और इस सेगमेंट में अनुचित प्रतिफल पर रोक लगाना है। बीएसई एसएमई आईपीओ सूचकांक इस महीने 13 प्रतिशत से ज्यादा और इस साल करीब 84 प्रतिशत चढ़ा है। पिछले तीन साल में प्रतिफल 3,000 प्रतिशत से ज्यादा रहा। तुलनात्मक तौर पर सेंसेक्स में इस साल 8.5 प्रतिशत की तेजी आई और तीन साल में यह करीब 50 प्रतिशत चढ़ा है।

निगरानी के बाद एसएमई शेयरों के औसत दैनिक कारोबार में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि कारोबार में फिर से तेजी आई। एसटी-एएसएम लागू करने से पहले अगस्त में औसत दैनिक कारोबार 85 करोड़ रुपये पर था, जो जनवरी की तुलना में दोगुना हो गया था। अक्टूबर में यह कारोबार घटकर 58 करोड़ रुपये रह गया, लेकिन नवंबर में फिर से बढ़कर 70 करोड़ रुपये हो गया।

प्राइम डेटाबेस के आंकड़े के अनुसार एसएमई के 108 आईपीओ ने अप्रैल से अक्टूबर के बीच करीब 3,000 करोड़ रुपये जुटाए। इनमें से 60 प्रतिशत निर्गम ऐसे हैं जिन्होंने पिछले तीन महीने में पूंजी जुटाई है।

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