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Thursday, April 25, 2024

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किसानों से बात यूपी चुनाव से पहले बन सकती है, मिलने लगे हैं नरमी के संकेत

नई दिल्ली: केंद्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने की जिद्द से हटकर किसान संगठन एक सकारात्मक विकल्प पर विचार कर सकते हैं जिससे खेती-किसानी की दशा दिशा बदल सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तौमर ने भी आंदोलनकारी किसानों को अगले दौर की बातचीत के लिए सकारात्मक विकल्प पर विचार करने के लिए कहा है।

किसान संगठनों में भी इस बात को लेकर चर्चा है कि 500 से अधिक किसानों की शहादत व्यर्थ न जाए इसलिए केंद्र से अगले दौर की बातचीत के लिए कोई सार्थक विकल्प ले कर जाया जाए। इसके लिए किसान संगठन सभी फसलों के लिए एमएसपी कानूनी गारंटी पर सहमति के लिए विचार कर रहे हैं। केंद्र सरकार इस पर सहमत होती है तो किसान संगठन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की जिद्द से पीछे हट सकते हैं।

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संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगरान, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव और अभिमन्यु कोहर की ओर से 8 जून को जारी बयान मुताबिक देश का किसान बाजार में मिल रही कम कीमतों के कारण भारी नुकसान उठा रहा है। सरकार सिर्फ अपने अहंकार के कारण इस आंदोलन को इतना लम्बा खींच रही है।

पंजाब में मक्के का एमएसपी रु. 1850/- प्रति क्विंटल घोषित है लेकिन किसान को सिर्फ रु. 700 से रु. 800 रुपये प्रति क्विंटल मिला है। यह उनकी लागत मूल्य तक को भी कवर नहीं करता है। अन्य चीज़ो के साथ डीिजल की कीमतों में वृद्धि अभी भी जारी है। इस तरह की स्थिति में कैसे एक किसान परिवार किसानी पर निर्भर रह पाएगा है, अपना जीवन निर्वाह करेगा?

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किसान नेताओं ने सवाल उठाया है कि ऐसी स्थिति में सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को कैसे पूरा करेगी? संयुक्त किसान मोर्चा सभी फसलों और किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए तत्काल एक कानून की मांग करता है, ताकि फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार को अलोकतांत्रिक रूप से विरोध की आवाज को दबाने के बजाय किसानों की मांगों को जल्द मान लेना चाहिए। इधर आंदोलनकारी किसानों ने विरोध के अपने तेवर ढीले करते हुए हरियाणा में सत्तारुढ भाजपा व जजपा गठबंधन सरकार के नेताओं के निजी कार्यक्रमों में बहिष्कार रद्द करने के फैसले से फिर से बातचीत के माहौल का रास्ता साफ किया है।

इधर पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी ने पार्टी नेतृत्व द्वारा किसानों के विरोध प्रदर्शन से निपटने के तरीके की आलोचना से किसान संगठनों के आंदोलन को बल मिला है।

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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 2017 के बाद से किसानों के आंदोलन में पांच गुना वृद्धि हुई है। सीएसई के अनुसार इन विरोधों का मुख्य कारण बाजार की विफलता और किसानों के लिए लाभकारी या उचित मूल्य की कमी है। इसके लिए किसानों की एक स्वर से मांग है कि लाभकारी एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए एक नया कानून जल्द से जल्द बनाना चाहिए।

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