एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट की अवधि को बढ़ा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गौतम नवलखा की हाउस अरेस्ट की अवधि बढ़ाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी के दूसरे सप्ताह तक उनकी नजरबंदी की अवधि बढ़ा दी । न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता की नजरबंदी की अवधि बढ़ाने का आदेश पारित किया।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 18 नवंबर को आदेश दिया था कि नवलखा को 24 घंटे के भीतर जेल से निकालकर हाउस अरेस्ट किया जाए। अदालत ने नवलखा को अपनी पार्टनर सहबा हुसैन के साथ रहने की इजाजत दे दी थी। साथ ही कुछ शर्ते भी लगाईं थी। इन शर्तों के मुताबिक, नवलखा को पुलिस अधिकारियों की ओर से मोबाइल फोन उपलब्ध कराया गया था, जिससे वह रोजाना पांच मिनट अपने परिवार से बात कर सकें। वहीं, पुलिस अधिकारियों को फोन कॉल की निगरानी करने और रिकॉर्ड रखने का अधिकार दिया गया था। इसके साथ ही जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने आदेश दिया था कि खर्च का ड्राफ्ट पुलिस कमिश्नर के ऑफिस में जमा कराया जाए।
इन शर्तों का भी करना था पालन
बता दें कि गौतम नवलखा नवी मुंबई में एक महीने के लिए नजरबंद रखने का आदेश अदालत ने 18 नवंबर को दिया था। अदालत नवलखा के मुंबई में रहने के लिए कई शर्तें लगाई थी, जिनमें सुरक्षा के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने, कमरों के बाहर और आवास के प्रवेश एवं निकास द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाना शामिल था। साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि इस दौरान वह किसी भी तरह के संचार उपकरण यानी लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा वह न तो मीडिया से बात करेंगे और न ही मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से बातचीत करेंगे।
इस मामले में हैं गिरफ्तार
दरअसल, यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से जुडा है। इस कार्यक्रम के अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। इसी मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा भी आरोपी हैं।