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Friday, April 26, 2024

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चेतावनी को केंद्र सरकार ने क्यों किया अन्देखा ? मोदी सरकार ने काश! संसद के स्थायी समिति की बात पर गौर किया होता

चेतावनी को केंद्र सरकार ने क्यों किया अन्देखा ? भारत में इस समय कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं मौत के इस भयावह सन्नाटे के बीच एक रिपोर्ट ने हर भारतीय को आक्रोशित कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार को पिछले साल ही यह चेतावनी दे दी गई थी कि, देश में आने वाले दिनों में ऑक्सीजन और बेड की भारी कमी हो सकती है।

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चेतावनी को केंद्र सरकार ने क्यों किया अन्देखा ?

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में कोरोना से मचे हाहाकार और हर तरफ़ से आ रही ऑक्सीजन की कमी की ख़बरों के बीच एक ख़बर यह भी आई है कि मोदी सरकार को इस कमी को लेकर पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई थी। दरअसल, भारतीय संसद की एक स्थायी समिति ने कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर आने से कुछ महीने पहले ही मोदी सरकार को सुझाव दिया था कि अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या और ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाया जाए, लेकिन बंगाल चुनाव में पूरी सरकार के व्यस्त हो जाने के बाद इस ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।

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भारतीय संसद में स्वास्थ्य संबंधी स्थायी समिति ने पिछले साल नवंबर में अपनी रिपोर्ट में यह पैरवी भी की थी कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण को ऑक्सीजन सिलेंडर की क़ीमत तय करनी चाहिए ताकि इसकी किफ़ायती दर पर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। इस समिति के अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव हैं और इसमें भाजपा के 16 सदस्य शामिल हैं। समिति ने कहा था, ‘समिति सरकार से यह अनुशंसा करती है कि ऑक्सीजन के उत्पादन को प्रोत्साहित करे ताकि अस्पतालों में इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।’ समिति ने यह भी कहा था कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए देश के सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या पर्याप्त नहीं है और अस्पतालों में बिस्तरों और वेंटिलेटर की कमी की वजह से इस महामारी पर लगाम लगाने की कोशिशों पर असर पड़ रहा है।

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स्वास्थ्य तंत्र की खराब हालत का उल्लेख करते हुए समिति ने यह सुझाव भी दिया था कि स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया जाए तथा देश में स्वास्थ्य सेवाओं का विकेंद्रीकरण किया जाए। ग़ौरतलब है कि, आज से करीब 6 महीने पहले ही संसद की समिति ने सिफारिश की थी कि ऑक्सिजन का उत्पादन और अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जाए। अगर उसकी सिफारिश को मोदी सरकार ने गंभीरता से लिया गया होता तो आज शायद यह नौबत नहीं आती कि ऑक्सिजन ख़त्म होने से अस्पतालों में मरीज़ दम तोड़ते। आज पूरा भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। इस देश की राजधानी दिल्ली में हालत यह हैं कि अस्पताल लगातार ऑक्सिजन के लिए गुहार लगा रहे हैं। ऑक्सिजन ख़त्म होने से मरीज़ दम तोड़ रहे हैं। अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने लगे हैं। यह दृश्य जब भारत की राजधानी का है तो दूसरी जगहों की स्थिति का अंदाज़ा अपने आप लगाया जा सकता है।

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