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Friday, April 19, 2024

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डेटा सेंटर के लिए दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में मिलेंगे भूखंड

दिल्ली सरकार ने औद्योगिक क्षेत्रों में खाली पड़े औद्योगिक भूखंडों को डेटा सेंटर (Data Center) के लिए आवंटित करने की योजना बनाई है। जिससे कि इन भूखंडों को सही उपयोग हो सके। इन भूखंडों को पट्टे (Lease) पर दिया जाएगा और इसके बदले आवंटियों को पटटा किराया (lease rent) देना होगा।

दिल्ली राज्य औद्योगिक व अवसंरचना विकास निगम (DSIIDC) के एक अधिकारी ने बताया कि इस समय देश में डेटा की खपत तेजी बढ़ रही है। विभिन्न ई-गवर्नेंस सेवाएं और ऑनलाइन सेवा वितरण प्लेटफॉर्म डेटा के प्रमुख उपभोक्ता हैं। इसलिए DSIIDC का उद्देश्य दिल्ली में डेटा सेंटर उद्योग को बढावा देने के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है।

नरेला, बवाना, भोरगढ, कंझावला व बपरोला औद्योगिक क्षेत्रों में काफी खाली औद्योगिक भूखंड पड़े हैं। दिल्ली में मजबूत आईटी पारिस्थितिकी तंत्र, आसानी से रोजगार योग्य गुणवत्ता प्रतिभा कुछ ऐसे स्थानीय लाभ हैं तो दिल्ली को डेटा सेंटर उद्योग में निवेश के लिए गंतव्य स्थल बनाने में महत्वपूर्ण हैं। इसलिए DSIIDC इन भूखंडों को विशेष रूप से डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए आवंटित करने जा रही है।

DSIIDC ने निवेशकों को भूखंड आवंटित करने के लिए Expression of Interest रूचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की है। इच्छुक निवेशक 20 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं। सभी क्षेत्रों में भूमि उपयोग बिना ऊंचाई प्रतिबंध के 200 एफएआर के साथ औद्योगिक होगा।

30 से 99 साल के लिए पट्टे पर मिलेंगे भूखंड

अधिकारी ने कहा कि आवंटी/पट्टाधारी को स्वयं के खर्चे पर भूखंड पर निर्माण कार्य करना होगा और मास्टर प्लान के मुताबिक भवन नक्शे की स्वीकृति दिल्ली नगर निगम से लेनी होगी। भूखंड पट्टे पर देने की अवधि 30 से 99 साल है। इच्छुक पार्टियों को भूखंड का आवंटन DSIIDC में सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के बाद दीर्घावधि पटटा आधार पर किया जाएगा। आवंटी को पटटा किराया भी देना होगा। जिसे DSIIDC द्वारा बोली के आधार पर तय किया जाएगा।

खपत में हिस्सेदारी 20 फीसदी, भंडारण क्षमता महज 2 फीसदी

विश्व डेटा खपत में भारत की हिस्सेदारी लगभग 20 फीसदी होने का अनुमान है, जबकि डेटा भंडारण क्षमता केवल 2 फीसदी है। हाल के अनुमानों से पता चलता है कि भारत की 375-मेगावाट (MW) डेटा सेंटर क्षमता तेजी से बढ़ रही है और 2025 के अंत तक 750 मेगावाट से अधिक क्षमता जोड़ने की उम्मीद है। इस क्षमता को जोडने के लिए 4.9 बिलियन डॉलर निवेश की आवश्यकता होगी। भारत सरकार के डेटा स्थानीयकरण से डेटा सेंटर कारोबार में निवेश को और बढ़ावा मिलने की संभावना है।

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