केरल के कोझिकोड जिले में दो साल पहले एक नाबालिग दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले चार आरोपियों में से तीन लोगों को एक अदालत ने मंगलवार को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। चौथे को 30 साल की जेल की सजा मिली।
फास्ट ट्रैक अदालत के न्यायाधीश सुहैब एम ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दलित लड़की के खिलाफ अत्याचार के अपराध के लिए सयुज, राहुल और अक्षय को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
लोक अभियोजक मनोज अरूर ने बताया कि शेष आरोपी शिबू को एससी/एसटी कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया गया क्योंकि वह खुद दलित है। अभियोजक ने बताया कि अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के अपराध के लिए चारों आरोपियों को दोषी ठहराया और 30-30 साल की सजा सुनाई। इसके अतिरिक्त, अदालत ने चारों पर कुल 5.75 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पुलिस मुताबिक, लड़की (17 वर्षीय) दलित समुदाय से ताल्लुक रखती थी। चार लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इन चार में एक उसका दोस्त था। इन्होंने तीन अक्तूबर, 2021 को जिले के एक पर्यटन स्थल पर नशील जूस पिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया था।
लड़की का दोस्त उसके ही इलाके में रहता था। उसने ही लड़की को बुलाया और उसे पर्यटन स्थल पर ले गया था। वहां पहुंचने पर वह उसे एक रेस्तरां में ले गया और उसे एक गिलास जूस में नशीला पदार्थ मिलाकर पिला दिया। बाद उसने अपने तीन दोस्तों के साथ उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे उसके घर के पीछे की ओर फेंक दिया।
उन्होंने उसे धमकी भी दी थी कि अगर उसने किसी को बताया कि उसके साथ क्या किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अभियोजक ने बताया कि हैरान और डरी हुई पीड़िता ने किसी को कुछ नहीं बताया और नदी में कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। उसे इलाके के स्थानीय निवासियों ने बचाया। तब उसने अपनी आपबीती घरवालों को बताई। इसके बाद उसके परिवार ने पुलिस को इसकी सूचना दी।