31 C
Mumbai
Thursday, May 2, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

‘यह मौलिक अधिकारों के खिलाफ’, दो परिवारों के सामाजिक बहिष्कार को कोर्ट ने खत्म करने का दिया निर्देश

त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कंगारू अदालतों द्वारा उनाकोटी जिले में दो स्थानीय परिवारों पर लागू किए गए सामाजिक बहिष्कार को खत्म किया जाए।

अधिकारियों ने बताया कि उनाकोटी जिले के पश्चिम अंदरपाड़ा के रहने वाले दिहाड़ी मजदूर पूर्णजॉय चकमा और ऑटो रिक्शा चालक तरुण चकमा ने अपनी इच्छा से 22 नवंबर, 2022 को बौद्ध धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था। इसके तुरंत बाद दो अवैध रुढ़िवादी कानून अदालतों ‘चकमा सामाजिक विचार समिति’ और ‘आदम पंचायत’ ने एक फरमान जारी कर समुदाय के सदस्यों से इनके परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने को कहा।

बीते एक साल से इन परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि ग्रामीणों को किसी भी तरह से उनकी मदद न करने के लिए कहा गया था। अधिवक्ता सम्राटकर भौमिक ने पत्रकारों को बताया, पूर्णजॉय को नौकरी पाने से रोक दिया गया था। गांव के प्रधानों ने लोगों को तरुण के ऑटो में सवार न होने का निर्देश दिया था। कोई विकल्प न मिलने पर दोनों ने उच्च न्यायालय के समक्ष दो रिट याचिकाएं दायर कीं। 

उन्होंने कहा, मामले की सुनवाई के बाद और दोनों परिवारों की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति अरिंदम लोध ने प्रशासन से उन पर लगाए गए सामाजिक बहिष्कार के सभी अवरोधों को हटाने के लिए कहा। भौमिक ने कहा कि पुलिस को उन लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है जो अवैध रुढ़िवादी कानून अदालतें चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि एकल पीठ ने पारंपरिक कानून अदालतों को भी अलग-अलग नोटिस जारी कर पूछा कि उन्होंने ऐसा गैरकानूनी आदेश क्यों पारित किया जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here