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Thursday, April 25, 2024

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बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्याकांड में मिला 28 साल के बाद इन्साफ़, दोषियों को उम्र कैद की सजा

बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्याकांड में फादर थॉमस कोट्टूर एवं सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा

तिरुअनंतपुरम : केरल का बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्याकांड में 28 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है, जिसमें दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. तिरुवनंपुरम सीबीआई कोर्ट ने 18 वर्षीय सिस्टर अभया की हत्या के मामले में एक कैथलिक पादरी और एक नन को उक्त मामलेे का दोषी पाया है, बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्याकांड केेेेेेेेरल का एक रहस्यमयी काण्ड से कम नहीं था। 

फादर थॉमस कोट्टूर एवं सिस्टर सेफी को उम्रकैद की सजा

सीबीआई कोर्ट ने कैथलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर को धारा 302 के तहत उम्रकैद के साथ-साथ पांच लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनायी गई है. वही, सबूत मिटाने के मामले में सात सालों की जेल और वहीं कॉन्वेंट में गैर-अधिकृत तरीके से घुसने के लिए उम्रकैद की सजा सुनायी गई है. साथ ही, सिस्टर सेफी को भी धारा 302 के अन्तर्गत मर्डर के लिए उम्रकैद के साथ-साथ 5 लाख रुपये जुर्माना भरने की सुनाई गई है. वहीं, सबूत मिटाने के मामले में भी सात सालों की सजा मिली है, जहां सिस्टर अभया रहती थीं. उस कॉन्वेंट का प्रभार सिस्टर सेफी संभालती थी।

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बहुचर्चित सिस्टर अभया हत्याकांड 1992 में हुआ 

21 वर्षीय सिस्टर अभया की मार्च, 1992 में कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में प्रातः काल हत्या कर दी गई थी क्योंकि सिस्टर अभया ने थॉमस कोट्टूर, एक अन्य पादरी होज़े फूथराकयाल और सेफी के बीच अनैतिक कृत्यों को देख लिया था, सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अपराध छिपाने के लिए इन लोगों ने सिस्टर अभया की हत्या कर उनके शव को कॉन्वेंट के ही कुएं में फेंक दिया था।

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उक्त मामले को पहले बताया गया था ख़ुदकुशी 

इस घटना को पहले बताया गया खुदकुशी का मामला, वहीं अपनी जांच में पुलिस ने और क्राइम ब्रांच ने भी यही कहा था. लेकिन जांच के बाद बहुत सी चीजें साफ नहीं हो पा रही थीं, इस मामले को बहुत विरोध के बाद केस को सीबीआई को सौंप दिया गया, मजे की बात है कि सीबीआई ने कोर्ट में तीन फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन जिसेको कोर्ट ने नकार दिया था. कई पहलुओं पर कोर्ट जांच से संतुष्ट नहीं था. वहीं कोर्ट ने सीबीआई की आखिरी रिपोर्ट देखने के बाद दोनों ही आरोपियों को हत्या का दोषी माना तथा उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी, साथ ही साथ इस मामले के दूसरे पादरी फूथराकयाल को पिछले साल ही बरी कर दिया गया था।

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