मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता पर काबिज होने जा रही है। लेकिन, तेलंगाना ने कांग्रेस की इज्जत बचा ली। यहां कांग्रेस ने केसीआर की बीआरएस को पार्टी ने बड़े अंतर से हरा दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से देखें तो ये कांग्रेस के लिए बेहद अहम जीत है। सरल शब्दों में कहें तो तेलंगाना की जीत किसी जादू से कम नहीं है। इस जीत से कांग्रेस के लिए दक्षिण में एक और गेट खुल गया है। तेलंगाना की जीत से कांग्रेस आंध्र प्रदेश में भी बढ़त ले सकती है। क्योंकि राज्य में जगन मोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू की हालत कमजोर नजर आ रही है।
तेलंगाना में कांग्रेस ने चुनाव की मजबूत तैयारी की थी। यहां चुनाव का ऐलान होने से एक साल पहले से ही पार्टी ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। चुनावी रणनीति की पूरी कमान कांग्रेस आलाकमान के पास थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें मिली थीं, ऐसे में पार्टी इस चुनाव में कोई भी चूक नहीं करना चाहती थी। इसलिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने भी कर्नाटक की तरह तेलंगाना में भी लंबा वक्त गुजारा था।
तेलंगाना पर कब्जा करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व और स्थानीय नेताओं की टीम ने बेहतर तालमेल के साथ चुनावी रणनीति तैयार की। भारत जोड़ो यात्रा के अलावा भी प्रदेश में अन्य यात्राएं ‘प्लान’ की गईं, ताकि जनता तक पहुंचा जा सके। कांग्रेस ने जनता की भावना को समझा और प्रदेश में सीएम चंद्रशेखर राव को निशाना बनाया। पार्टी ने आंतरिक सर्वे कराया और तेलंगाना में जिताउ उम्मीदवारों की खोज कर उन्हें ही टिकट दिया जो जीत सके।
कांग्रेस ने पूरा फोकस वेलफेयर मॉडल और डेवलपमेंट मॉडल पर रखा। पार्टी ने वादा किया है कि वो हर बेरोजगार युवा को चार हजार रुपये हर महीना, महिलाओं को ढाई हजार रुपये, बुजुर्गों के लिए चार हजार रुपये पेंशन और किसानों को 15 हजार रुपये देगी। इसके अलावा तेलंगाना में RRR जादू भी नजर आया। इस RRR जादू का मतबल राहुल गांधी और रेवंत रेड्डी से है। चुनावी कैंपेन के दौरान राहुल गांधी ने तेलंगाना में करीब 26 रैलियां की थीं। प्रियंका गांधी ने भी यहां पूरा जोर लगाया हुआ था। पार्टी के बड़े दिग्गज के तौर पर जहां राहुल-प्रियंका ने मोर्चा संभाला था, वहीं जमीन पर रेवंत रेड्डी लगे हुए थे। रेवंत रेड्डी दो सीटों कोडांगल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ रहे हैं। कोडांगल उनकी पारंपरिक सीट रही है जबकि कामारेड्डी में उनका मुकाबला सीधे मुख्यमंत्री केसीआर से रहा है।