29 C
Mumbai
Friday, April 19, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

सुप्रीम कोर्ट करेगा LIC आईपीओ की संवैधानिक वैधता का परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने LIC के आईपीओ की संवैधानिक वैधता का परीक्षण करने की बात कही है हालाँकि कोर्ट ने मामले में दखल देने से इंकार कर दिया है. अब आईपीओ की तय प्रक्रिया पहले की ही तरह जारी रहेगी.

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

गुरुवार से एलआईसी आईपीओ का अलॉटममेंट हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘यह निवेश का मामला है. पहले ही 73 लाख सब्सक्रिप्शन बन चुके हैं. ऐसे मामले में हम कोई अंतरिम राहत नहीं दे सकते. अंतरिम राहत देने का मामला नहीं बनता.’

शीर्ष अदालत ने मामले को मनी बिल को लेकर पहले से संविधान पीठ में चल रहे मामलों के साथ टैग कर दिया है और कहा है कि यह मुद्दा संविधान पीठ द्वारा विचार के योग्य है. कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र से चार हफ्ते में जवाब मांगा है.

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

मामले की सुनवाई में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि IPO मामलों में अदालत को अंतरिम राहत देने में अनिच्छुक होना चाहिए. मनी बिल का मामला 2020 में संविधान पीठ को भेजा गया है. फैसला सात जजों की बेंच को सुनवाई कर तय करना है, इसलिए हम इस मामले में नोटिस जारी कर इसे मामले के साथ टैग करेंगे. हम इस मामले मे किसी तरह का अंतरित राहत का आदेश जारी नहीं कर सकते.

इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश इंदिरा जयसिंह ने कहा कि पहले LIC का सारा सरप्लस पहले पॉलिसीहोल्डर्स को जाता था. इस संशोधन से पहले 95 फीसदी सरप्लस पॉलिसी होल्डर्स को और पांच फीसदी केंद्र सरकार के लिए जाता था. इस मनी बिल के जरिए संशोधन करके पॉलिसीहोल्डर्स का हिस्सा शेयरहोल्डर्स को दे दिया गया है. तीसरे पक्ष का अधिकार बना दिया गया है. 4 मई को ही IPO खुला है. अब अलॉटमेंट शुरू होना है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट किसी तरह की अंतरिम राहत दी जानी चाहिए, जिन लोगों ने एप्लाई किया है, उनके हित को बचाते हुए ये राहत दी जाए.

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि ये तो जनता का पैसा है जिसे बहुत चालाकी से LIC कंपनी का धन बनाया जा रहा है. पॉलिसीधारकों का पैसा अब शेयर धारकों को दिया जाएगा. ऐसे में IPO के लिए निवेश किया गया रुपया अकाउंट में ही हॉल्ट किया जाए.

केंद्र सरकार ने इसका विरोध किया है और कहा कि यह देश का सबसे बड़ा IPO है. अभी तक 73 लाख सब्सक्रिप्शन हो चुके हैं. 900 रुपये का शेयर प्राइस है. 4 मई से ही IPO शुरू हुआ है. मद्रास हाईकोर्ट इस पर फैसला दे चुका है और बॉम्बे हाईकोर्ट भी इनकार कर चुका है. 2021 में ये मनी बिल पास हुआ, ये लोग 15 महीने तक इंतजार करते रहे और अब ये अंतरिम राहत की मांग लेकर आ गए. जो यहां चुनौती दे रहे हैं वो 15 हजार रुपये के पॉलिसी होल्डर्स हैं, जो नुकसान होगा उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here