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Wednesday, April 24, 2024

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एक साल अलग रहना जरूरी नहीं ‘तलाक पाने के लिए’, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन केरल हाईकोर्ट ने बताया

केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10ए के तहत 1 वर्ष की अलगाव की न्यूनतम अवधि का निर्धारण मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है। अदालत ने इस केस में दंपती के एक साल अलग-अलग रहने की शर्त को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा है कि अगर पति-पत्नी में नहीं बनती और वो आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते हैं, तो उन्हें एक साल तक अलग-अलग रहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश
केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को वैवाहिक विवादों में पति-पत्नी के सामान्य कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भारत में एक समान विवाह संहिता पर गंभीरता से विचार करने का निर्देश दिया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्तकी और जस्टिस शोबा अन्नम्मा एपेन की खंडपीठ ने कहा कि उस समय विधानमंडल ने अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इस तरह की अवधि लगाई थी। ताकि पति-पत्नी गुस्से में आकर लिए गए फैसलों पर दोबारा से गौर करने के लिए वक्त मिल जाए और उनकी शादी टूटने से बच जाए।

सामान्य भलाई की पहचान करने में धर्म का कोई स्थान नहीं: केरल हाईकोर्ट
अदालत ने कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में कानूनी पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण धर्म के आधार पर नागरिकों की सामान्य भलाई पर होना चाहिए। राज्य की चिंता अपने नागरिकों के कल्याण और भलाई को बढ़ावा देने के लिए होनी चाहिए और सामान्य भलाई की पहचान करने में धर्म का कोई स्थान नहीं है।

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