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Thursday, May 2, 2024

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औरंगाबाद पीठ से सात शिक्षकों को बड़ी राहत, अदालत ने लगाई रोक बर्खास्त किए जाने के फैसले पर

महाराष्ट्र के जालना में एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल के प्रबंधन को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्रबंधन के फैसले को गलत माना है। साथ ही अदालत ने बर्खास्त किये गये सात शिक्षकों को राहत प्रदान करते हुए कहा, उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

औरंगाबाद बेंच में न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति वाईजी खोबरागड़े की पीठ ने शुक्रवार को जालना में एम एस इंग्लिश स्कूल के सात शिक्षकों की बर्खास्तगी पर रोक लगाने का आदेश जारी किया। सातों शिक्षक उन 42 शिक्षकों में शामिल हैं, जिन्होंने स्कूल प्रबंधन के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की है।

शिक्षकों की दलील है कि स्कूल की तरफ से उन्हें दिए जा रहे मामूली और अनियमित वेतन का फैसला गलत है। बाद में उन्हें बर्खास्त करने का फैसला भी स्कूल ने मनमाने तरीके से लिया। वकील तलहर अजय के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि छह से 26 साल तक की सेवा अवधि वाले शिक्षकों पर गलत कार्रवाई की गई है।

शिक्षकों का दावा है कि उन्हें सालाना अस्थायी नियुक्ति आदेश प्राप्त होने के बावजूद, बिना किसी पूर्व सूचना या कारण बताए स्कूल द्वारा बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें अनियमित रूप से भुगतान किया जा रहा था। वेतन के रूप में 12,000 से लेकर 30,000 रुपये के बीच की मामूली राशि रुक-रुक कर जारी की गई।

इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए, पीठ ने कहा, अगर शिक्षकों का सेवाकाल छह साल से 26 साल के बीच हैं, तो यह कहना बेमानी है कि शिक्षकों का नियुक्ति आदेश अस्थायी है, क्योंकि हर साल उन्हें अस्थायी वेतन जारी किया जाता है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, “ऐसे स्कूलों में, एक प्रशिक्षित स्नातक को परिवीक्षा अवधि पूरी होने के बाद नियमित किया जाना चाहिए। यदि इन याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलें सच हैं, उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया है, तो हम आज अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते।”

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि औद्योगिक क्षेत्र में भी, अस्थायी नियुक्तियों के लिए विशिष्ट नियम बनाए गए हैं। औद्योगिक रोजगार स्थायी आदेश अधिनियम एक वर्ष में 240 दिन काम करने वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार के नियमितीकरण को अनिवार्य करता है। अदालत ने स्कूल प्रबंधन की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि मामला एमपीईपीएस अधिनियम के तहत स्कूल ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में आता है।

एक अनंतिम उपाय के रूप में, अदालत ने शिक्षकों को बर्खास्त करने के आदेश पर रोक लगा दी और स्कूल प्रबंधन को नवंबर 2023 तक का बकाया वेतन अदालत में जमा कराने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने औरंगाबाद के संभागीय शिक्षा उपनिदेशक को स्कूल के कामकाज के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। स्कूल प्रबंधन को छह दिसंबर से पहले जवाब देने को कहा गया है।

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