अगर देश के नागरिक चाहते हैं कि केंद्र की अगली सरकार नेता की छवि के बजाय लोगों के लिए काम करे, तो विपक्षी इंडिया गठबंधन इसका जवाब है। यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को कही।
केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर ने दावा किया कि सभी पांच विधानसभा चुनावों वाले राज्यों में कांग्रेस भाजपा से आगे है और परिणाम अगले साल के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी गठबंधन का मनोबल बढ़ाएंगे।
पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में थरूर ने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय मतदाताओं के लिए यह पूछने का समय आ गया है कि उनके खुद के हित में क्या है, न कि (पीएम नरेंद्र) मोदी की छवि या भाजपा के पीआर कार्य में क्या है। क्या आप ऐसी सरकार चाहते हैं जो आपके कल्याण को प्राथमिकता दे? क्या आप ऐसी सरकार चाहते हैं जो लोगों को पहले को प्राथमिकता दे, न कि नेता की छवि को?
उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर लोग ऐसी सरकार चाहते हैं, जो एक नेता के बजाय लोगों के बारे में सोचेगी तो ‘इंडिया’ इसका जवाब है। थरूर ने आगे कहा, सच कहूं तो ऐसा लगता है कि भारत के लोग भाजपा को एक कड़ा संदेश देने के लिए तैयार हो रहे हैं। अगर आप चुनावों को देखें, तो इस समय भाजपा पांच राज्यों में से चार में कांग्रेस से बहुत पीछे है और पांचवें, राजस्थान में थोड़ा पीछे है।
इसलिए, अगर आप परिणाम को देख रहे हैं, तो ऐसा लगता है कि विपक्ष को अगले साल लोकसभा चुनावों में बहुत तेज हवा मिलने वाली है। यह भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं हो सकती। राजस्थान, मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और तेलंगाना के चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों का जिक्र करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन सभी ने राजस्थान को छोड़ककर सभी राज्यों में विपक्षी पार्टी को भाजपा से आगे रखा है।
उन्होंने आगे कहा, अगर आप यह भी देखें कि पार्टी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर क्या कह रहे हैं, तो कांग्रेस पार्टी में बहुत भरोसा है कि हम इन चुनावों में बहुत अच्छा करने जा रहे हैं। इन पांच राज्यों में मतदान सात से 30 नवंबर के बीच कई चरणों में होगा जबकि मतों की गिनती उसी दिन तीन दिसंबर को होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इन पांच राज्यों के चुनावों को लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल कहना चाहेंगे, थरूर ने कहा कि शब्दावली थोड़ी अजीब है, क्योंकि मतदाताओं ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग तरीके मतदान करना सीख लिया है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, राज्य चुनावों के परिणाम और लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता की घोषणा के बीच के कुछ महीनों में कुछ भी हो सकता है। पिछली बार 2018 में (पीएम नरेंद्र) मोदी की पार्टी सभी पांच राज्यों में हार गई थी और 2019 के मई तक उन्होंने इन सभी राज्यों में अधिकांश सीटें जीत ली थीं।’