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Monday, May 6, 2024

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शीर्ष कोर्ट का नोटिस निगरानी प्रणालियों के खिलाफ याचिका पर; कहा- केंद्र चार हफ्ते में जवाब दे

निगरानी प्रणालियों जैसे एनईटीआरए, एनएटीजीआरआईडी को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। इस मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र से जवाब मांगा है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने 10 अक्तूबर को केंद्र को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। 

पीठ ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) – सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) की ओर से दायर स्थानांतरण याचिका को 10 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।  वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में दलील दी गई है कि मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत राज्य एजेंसियों की ओर से जारी निगरानी आदेशों की समीक्षा करने के लिए ‘अपर्याप्त निरीक्षण तंत्र’ है।

दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है जनहित याचिका 
बता दें कि जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली (सीएमएस), नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (एनएटीआरए) और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) जैसे निगरानी कार्यक्रमों के जरिये नागरिकों की निजता के अधिकार को खतरे में डाला जा रहा है। याचिका में दावा किया गया है कि इससे नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है।

टेलीफोन कॉल, एसएमएस और ई मेल की निगरानी का दावा
याचिका में कहा गया कि सीएमएस एक निगरानी प्रणाली है, जिसके तहत टेलीफोन कॉल, व्हाट्सएप संदेश और ईमेल जैसे सभी प्रकार के संचार को इंटरसेप्ट किया जाता है और निगरानी की जाती है। सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (सीएआईआर) की ओर से विकसित एनईटीआरए, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत एक प्रयोगशाला है, जो ट्वीट या स्टेटस अपडेट में हमले, बम, विस्फोट या हत्या जैसे प्रमुख शब्दों के उपयोग के लिए इंटरनेट ट्रैफिक की निगरानी करती है।

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