कपिल सिब्बल ने भारत की न्यायपालिका की मौजूदा स्थति पर चिंता जताई है।
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भारत की राज्यसभा के सदस्य और इस देश के जानेमाने वकील सिब्बल ने कहा है कि फिलहाल देश में जो कुछ हो रहा है उससे मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने सारे ही संस्थानों के गले घोंटकर असल में देश में आपातकाल लागू कर दिया है। कपिल सिब्बल का कहना था कि क़ानून के शासन का रोज़ाना उल्लंधन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि क़ानून के शासन के सामने हो रहे दैनिक उल्लंघन को लेकर हमारी न्यायपालिका ने अपनी आंखें मूंद रखी हैं। उनका कहना था कि इस संस्था के कुछ सदस्यों के व्यवहार ने हमें बहुत निराश किया है।
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सिब्बल के अनुसार हालिया वर्षों के दौरान भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उच्चतम न्यायालय की ओर से जिस प्रकार से इसकी व्याख्या की जा रही है वह खेदजनक है।
कपिल सिब्बल ने आल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक ज़ुबैर की गिरफ़्तारी और दिल्ली की एक अदालन की ओर से उनकी ज़मानत को नामंज़ूर किये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि चार साल पहले किये गए ट्विट के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ़्तार कराना समझ से परे हैं जिसके ट्विट का कोई भी सांप्रदायिक प्रभाव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही चिंताजनक है।
कपिल सिब्बल कहते हैं कि जिस न्यायपालिका का मैं पिछले पचास वर्षों से हिस्सा रहा हूं उसी के कुछ सदस्यों ने मुझको बहुत निराश किया है। जो कुछ हो रहा है उससे मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।
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क़ानून के शासन के सामने किये जा रहे उल्लंघन को लेकर जब न्यायपालिका अपनी आंखें मूंद लेती है तो बहुत हैरानी होती है। कपिल सिब्बल के अनुसार क़ानून के शासन की रक्षा के लिए बनाई गई न्यायपालिका, क़ानून के शासन के उल्लंघन की अनुमति क्यों देती है?