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Saturday, April 20, 2024

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मद्रास हाईकोर्ट ने दी सशर्त जमानत यूट्यूबर शंकर को, सजा पर शीर्ष अदालत ने लगाई थी रोक

उच्च न्यायपालिका के खिलाफ कथित विवादस्पद टिप्पणी मामले में आरोपी यूट्यूबर सवुक्कु शंकर को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने यूट्यूबर शंकर की जमानत दे दी है। हालांकि उनको कई शर्तों का पालन करना पड़ेगा। गौरतलब है कि पिछले महीने शीर्ष अदालत ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया था।

मिली जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को यूट्यूबर और एक्टिविस्ट सवुक्कु शंकर पर कोर्ट की अवमानना के मामले में मद्रास हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई 6 महीने की सजा पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने कल यानी शुक्रवार को यूट्यूबर और एक्टिविस्ट सवुक्कु शंकर को जमानत पर रिहा करने के लिए नियम और शर्तें तय करते हुए जनामत दे दी।

 इन शर्तों का करना होगा पालन
जमानत के साथ ही हाईकोर्ट ने यूट्यूबर सवुक्कु शंकर को लेकर कुछ शर्तें तय की हैं। जिनका पालन उसे करना होगा। मदुरै पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि शंकर को सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी या अन्य संबंधित गतिविधियां नहीं करनी होंगी। साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि सवुक्कु शंकर न्यायपालिका को ठेस पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हो। इसके अलावा, अगले आदेश तक शंकर को रोजाना सुबह 10: 30 बजे न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश होना होगा। उन्हें अदालत के निर्देश के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष पेश होने के लिए भी कहा गया। 

सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को यूट्यूबर और एक्टिविस्ट सवुक्कु शंकर पर कोर्ट की अवमानना के मामले में मद्रास हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई 6 महीने की सजा पर रोक लगा दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जेके माहेश्वरी की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने शंकर की स्पेशल लीव पिटीशन पर हाई कोर्ट को नोटिस जारी किया था। पीठ ने निर्देश दिया था कि सुनवाई की अगली तारीख तक शंकर अदालती कार्यवाही के संबंध में कोई वीडियो या टिप्पणी नहीं करेगा।

कोर्ट के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी का था मामला
गौरतलब है कि यूट्यूबर और एक्टिविस्ट सवुक्कु शंकर ने एक साक्षात्कार में कहा था कि  “पूरी उच्च न्यायपालिका भ्रष्टाचार से ग्रस्त है।” जिसके बाद न्यायमूर्ति स्वामीनाथन के नेतृत्व वाली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए शंकर के यूट्यूब इंटरव्यू पर ध्यान देते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू की थी। बीते 15 सितंबर को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ  में जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और पी पुगलेंधी शामिल ने शंकर को उनकी टिप्पणी के लिए अदालत की आपराधिक अवमानना के लिए दोषी ठहराया था।  

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