विपक्षी दलों ने मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनचआरसी) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने चुनावी लाभ के लिए ऐसे संस्थानों को बर्बाद न करने की सलाह दी।
इन्होंने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि केंद्र, गैर भाजपा शासित राज्यों में सरकारों को अस्थिर करने के इरादे से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीमें भेज रहा है। विपक्षी दलों कांग्रेस, राजद, जद-यू, तृणमूल कांग्रेस, आप, भाकपा, माकपा, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, राकांपा और शिवसेना ने एक बयान में आरोप लगाया कि सरकार जहरीली शराब त्रासदी से राजनीतिक लाभ लेने का ‘निर्लज्ज प्रयास’ कर रही है। बता दें कि बिहार में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हुई है।
बयान में कहा गया, हम समान विचारधारा वाले विपक्षी दल इस तरह की विनाशकारी त्रासदी से राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस निर्लज्ज प्रयास की निंदा करते हैं। दलों ने कहा, हम एनएचआरसी के इस तरह के खुले तौर पर पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक तरीके से इस्तेमाल की निंदा करते हैं, यह उन लोगों की स्मृति का अपमान है जो इसमें मारे गए हैं। उनसे साथ परिवार भी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट है कि केवल गैर शासित राज्यों में एनएचआरसी को भेजा जा रहा है। ऐसा लगता है कि सरकार का विपक्ष शासित सरकारों को अस्थिर करने का इरादा है। उन्होंने कहा, दुख की बात है कि बीते आठ वर्षो से राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए ईडी, सीबीआई, आई आदि का इस्तेमाल करने के बाद एनएचआरसी और एनसीपीसीआर मोदी सरकार के हाथों के नए उपकरण बन गए हैं।