30 C
Mumbai
Thursday, April 25, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

रवायत बगावत और पेंशन, भाजपा की बढ़ा रहे टेंशन हिमाचल में; समझिए कैसे

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में सिर्फ चंद दिनों का ही समय बाकी है। पहाड़ी राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) भी टक्कर देने की कोशिश कर रही है। हालांकि, गुजरात के मुकाबले हिमाचल में AAP की उपस्थिति ज्यादा नहीं दिख रही, जिसकी वजह से चुनावी विश्लेषक बीजेपी और कांग्रेस को ही मुख्य दल मान रहे हैं। पहाड़ी राज्य में पिछले पांच साल से सत्ता में मौजूद बीजेपी कई दिक्कतों से जूझ रही है। यूं तो पार्टी फिर से सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन तीन वजहों से बीजेपी की परेशानियां बढ़ गई हैं। पहला पहाड़ी राज्य के पिछले तीन दशक का चुनावी इतिहास है। दूसरा चुनावी मैदान में उतरने वाले बीजेपी के बागी नेता हैं और तीसरी वजह ओल्ड पेंशन स्कीम है। ये तीनों जहां बीजेपी के लिए परेशानी का सबब हो सकते हैं तो कांग्रेस इसके चलते उत्साहित है। 

बागी नेता बढ़ा रहे बीजेपी की परेशानी
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही आते हैं। यहीं उन्होंने राजनीति का ककहरा भी सीखा। अब जब उनके नेतृत्व में बीजेपी राज्य में चुनाव लड़ रही है तो फिर कई बागी नेता पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे। दरअसल, बीजेपी ने टिकट बंटवारे के दौरान, पिछला विधानसभा चुनाव जीतने वाले कई विधायकों और मंत्रियों के टिकटों को काट दिया है। पार्टी ने कुछ नेताओं को तो मना लिया, लेकिन लगभग 20 बागी मैदान में डटे हुए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन सीटों पर इन बागी नेताओं की काफी पकड़ है और वे कहीं न कहीं बीजेपी को चुनाव में नुकसान पहुंचाएंगे ही। पहले तो इन नेताओं को पार्टी ने मनाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने तो बीजेपी ने सख्ती बरतते हुए चार पूर्व विधायकों और एक पार्टी के उपाध्यक्ष समेत पांच शीर्ष नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। 

पीएम मोदी भी रख रहे करीब से नजर, खुद किया फोन
बीजेपी के लिए हिमाचल प्रदेश किस कदर अहम है, इसका पता इससे चलता है कि पीएम नरेंद्र मोदी पूरे चुनाव पर करीब से नजर रखे हुए हैं। यहां तक कि पिछले दिनों उन्होंने बागी नेता को खुद फोन कॉल करके चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा। कांगड़ा जिले की फतेहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कृपाल परमार को पीएम मोदी ने फोन करके कहा कि वे कुछ भी नहीं सुनेंगे और उनका कृपाल पर हक है। इस पूरी बातचीत का वीडियो सामने आने के बाद यह सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया, जिसके बाद कांग्रेस ने निशाना भी साधा। बीजेपी से टिकट नहीं मिलने की वजह से परमार काफी नाराज हैं और निर्दलीय ही ताल ठोक दी है। पूर्व राज्यसभा सांसद का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ 1200 वोटों से ही हार मिली थी। वे पार्टी के राज्य में उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

ओल्ड पेंशन स्कीम बढ़ा रही बीजेपी की टेंशन
हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो फिर कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेता राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हवाला दे रहे हैं, जहां पर पहले ही ओपीएस को लागू किया जा चुका है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि राज्य में रिटायर्ड कर्मचारियों की बड़ी संख्या होने की वजह से बीजेपी के लिए चुनाव में दिक्कत हो सकती है। नई पेंशन स्कीम के तहत करीब सवा लाख कर्मचारी आते हैं और उनके परिवार को भी जोड़ लें तो वोटर्स की बड़ी संख्या बनती है। हर विधानसभा में लगभग तीन हजार वोट्स बनते हैं। यदि इनमें से कुछ वोट भी इधर से उधर हुए तो नतीजों पर भी असर पड़ सकता है।

चुनावी इतिहास के चलते भी बीजेपी परेशान!
हिमाचल प्रदेश के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां हर पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड देखा गया है। पिछले तीन दशकों से एक पार्टी की सरकार के बाद दूसरी पार्टी की सरकार बनती है। यही सेम ट्रेंड राजस्थान में भी रहा है। पहाड़ी राज्य हिमाचल के इतिहास की बात करें तो यहां मध्य 80 के दशक से ही एक बार कांग्रेस तो अगली बार बीजेपी का कब्जा रहा है। साल 2017 में बीजेपी की जीत के बाद जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई थी। उससे पहले 2012-2017 तक कांग्रेस के वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here