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Sunday, May 5, 2024

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राहुल दिखे ‘एंग्री यंग मैन’ अवतार में, 2024 में मोदी को दिखा दिया कि जबरदस्त टक्कर मिलेगी

भारत जोड़ो यात्रा के अनुभवों से परिपक्व हुए राहुल गांधी ने लोकसभा में अपना ‘एंग्री यंग मैन’ अवतार दिखाकर भाजपा को कड़ी चुनौती दे दी है। अपने संबोधन में उन्होंने मणिपुर का दर्द साझा किया और आरोप लगाया कि गलत नीतियों के कारण मणिपुर में देश के हितों के साथ समझौता हुआ है। बेहद आक्रामक अंदाज में राहुल आत्मविश्वास से भरे नजर आए। यह उन्हें उनके पहले के राहुल गांधी से अलग करता दिखाई पड़ा। अपने आक्रामक अंदाज से उन्होंने बता दिया है कि 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती मिलने वाली है। हालांकि, भाजपा ने राहुल गांधी के हमलों का करारा जवाब दिया है।

भाजपा की ओर से स्मृति ईरानी ने कहा कि भारत माता की हत्या की बात सुनने के बाद भी कांग्रेस के नेता तालियां बजाते रह गए। यह शर्मनाक है। उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा महिलाओं के लिए किए गए कार्य को गिनाया और कहा कि सरकार ने गरीबों-आदिवासियों की बेटियों के स्वाभिमान को मजबूत करने का काम किया है।  

मणिपुर मामले में लगाया ये आरोप
राहुल गांधी ने बेहद आक्रामक अंदाज में मणिपुर के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने मणिपुर में हिंदुस्तान की ‘हत्या’ की। उन्होंने अपनी  मणिपुर यात्रा का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके सामने उन माताओं ने अपना दर्द साझा किया जिन्होंने दंगों में अपने बच्चों को खोया है। उन्होंने आरोप कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आज तक मणिपुर नहीं गए। मणिपुर को दो टुकड़ों में बांट दिया गया है।  

राहुल के इन हमलों के बाद माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस मुद्दे पर बोलना पड़ सकता है। विपक्ष की सबसे बड़ी चाहत यही थी कि पीएम नरेंद्र मोदी मणिपुर के मुद्दे पर बोलें। राहुल गांधी के बयान के बाद इसकी संभावनाएं सामने आ गई हैं।  

‘भारत अहंकार को खत्म कर देता है’
राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का वर्णन करते हुए कहा कि भारत अहंकार को मिटा देता है। जब वे यात्रा के लिए निकले थे तो उन्हें लगता था कि वे इस यात्रा को आसानी से पूरी कर लेंगे। वे प्रतिदिन 10 किलोमीटर दौड़ते हैें। ऐसे में उन्हें लगता था कि 25 किमी प्रतिदिन चलना कोई मुश्किल की बात नहीं होगी। लेकिन एक-दो दिन में ही उन्हें घुटने का दर्द होने लगा और उन्हें यह अनुभव हो गया कि यह यात्रा इतनी आसान नहीं होने वाली है। यात्रा में आए लोगों ने उनका दर्द बांटा और उनका अहंकार दूर हो गया। 

पीएम पर इशारा
राहुल के इन शब्दों को सीधे प्रधानमंत्री से जोड़कर देखा जा रहा है। विपक्ष हमेशा आरोप लगाता रहा है कि प्रधानमंत्री किसी से बात नहीं करते हैं। वे किसी की आवाज नहीं सुनते हैं। उनके अनुसार यह प्रधानमंत्री का अहंकार है। राहुल गांधी ने इशारों-इशारों में यह कहा कि भारत सत्ता पक्ष का अहंकार दूर कर देगा।  

स्मृति ने संभाला मोर्चा, कश्मीर के सहारे कांग्रेस को घेरने की कोशिश
राहुल गांधी के भाषण का जवाब देने के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सामने आईं। उन्होंने कश्मीर में कश्मीरी महिलाओं पर हुए अपराध की बातें बताते हुए प्रश्न किया कि कांग्रेस को उस समय कोई दर्द क्यों नहीं हुआ। ईरानी ने पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी महिलाओं पर हुए अत्याचार की कहानी सुनाकर यह बताने की कोशिश की कि देश के दूसरे राज्यों में भी महिलाओं पर अत्याचार हुए हैं। लोगों को उसके प्रति भी उतनी ही संवेदना दिखानी चाहिए। उन्होंने सिख दंगों के सहारे भी कांग्रेस नेता को घेरने की कोशिश की। 

यह तर्क स्वीकार नहीं
राजनीतिक विश्लेषक राकेश रंजन ने अमर उजाला से कहा कि राहुल गांधी का आक्रामक अंदाज यह बताने के लिए पर्याप्त है कि अब कांग्रेस भी भाजपा को उसी भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है जिस भाषा में भाजपा अब तक उन पर आक्रमण करती थी। उन्होंने कहा कि संसद में राहुल गांधी अपने भाषणों में ज्यादा आत्मविश्वास से भरे नजर आए। उनकी बातों में मणिपुर की उन महिलाओं का दर्द साफ महसूस किया गया जिसके बारे में वे बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का यह अवतार कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष को लोकसभा चुनावों में लाभ पहुंचा सकता है।  

उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस तरह मणिपुर के मामले में दूसरे राज्यों में महिलाओं पर हुई हिंसा का मुद्दा उठाया, वह समझ से परे है। देश के किसी भी हिस्से में किसी भी महिला के साथ बुरा व्यवहार होने पर कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन किसी एक घटना को किसी दूसरी घटना का जवाब नहीं कहा जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने इसी आधार पर मणिपुर के मामले में दूसरे राज्यों की हिंसा के उदाहरण को सही नहीं माना था। 

विपक्ष एकजुट दिखा
राकेश रंजन ने कहा कि संसद के पहले दिन से ही विपक्ष पूरी तरह एकजुट दिखाई पड़ रहा है। राहुल गांधी के भाषण के समय भी पूरा विपक्ष एकजुट होकर उनके पीछे खड़ा दिखाई पड़ा। इससे यह भी इशारा मिल जाता है कि भाजपा के विरुद्ध हर सीट पर विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने की दिशा में व्यापक सहमति बन सकती है। यदि ऐसा होता है तो 2024 की चुनावी लड़ाई रोचक हो सकती है।

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