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Thursday, November 21, 2024

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तीन साल में 5 करोड़ मोबाइल कनेक्शन काटे, ठगी से बचाए 2400 करोड़ रुपये, सात लाख व्हाट्सएप बंद

देश में साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। खासतौर पर, साइबर अपराधियों द्वारा मोबाइल फोन के जरिए लोगों को आर्थिक चपत लगाई जा रही है। हालांकि केंद्र सरकार ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4Cसी) की स्थापना की है। गत तीन वर्ष में केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रयासों से 2400 करोड़ रुपये, साइबर अपराधियों के हाथों में जाने से रोके गए हैं। इन मामलों को लेकर 7.6 लाख से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई थी। सात लाख व्हाट्सएप अकाउंट बंद किए गए हैं। इसके अलावा पांच करोड़ से अधिक मोबाइल फोन कनेक्शन, काटे गए हैं। इनकी सूचना ऑनलाइन ‘डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म’ (डीआईपी) पर साझा की गई है। 

साइबर अपराधियों द्वारा वारदात को अंजाम देने के लिए नित्य नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। वीडियो कॉल के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाया जाता है। इसमें अश्लील कॉल भी शामिल है। अब एक नया तरीका सामने आया है। साइबर अपराधी, ऐसे परिवार की जानकारी एकत्रित करते हैं, जिनका लड़का/लड़की कहीं दूसरे शहर में पढ़ाई करते हैं। उनके पास यह कह फोन किया जाता है कि आपका बच्चा, अपराध की वारदात में फंसा गया है। रेप जैसी कहानी भी बताई जाती है। इतना ही नहीं, साइबर अपराधी, खुद को पुलिस अफसर बताकर पेरेंट्स को फोन करते हैं। उनके व्हाट्सएप पर किसी आईपीएस की डीपी लगी रहती है। 

पिछले कुछ दिनों से विदेशी नंबरों के जरिए कॉल आ रही हैं। अब एक नया नंबर देखने को मिला है। उस नंबर के आगे भारत का कोड यानी 91 लगा रहता है, लेकिन मोबाइल नंबर के दस अंकों के आगे दोबारा से 91 लिखा रहता है। व्यक्ति यह सोचकर फोन उठा लेता है कि अपने देश में से ही किसी का फोन है। ऐसे नंबर के जरिए साइबर अपराधी, डाक विभाग का नाम लेकर फोन करते हैं। वे कहते हैं कि आपका पार्सल, डिलीवर नहीं हो पा रहा है, कृप्या फलां अंक दबाएं। इस तरह से वे किसी भी सामान्य नागरिक को अपने जाल में फंसा लेते हैं। 

गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार के मुताबिक, वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए I4सी के अंतर्गत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी सूचना एवं प्रबन्धन तंत्र (सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम)’ वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया है। इस तंत्र पर अभी तक 7.6 लाख से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। समय पर त्वरित कार्रवाई होने से 2400 करोड़ रुपये की बचत हुई है। ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में सहायता प्रदान करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है।

भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसीज-एलईए) के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी सहित अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं। केंद्र सरकार अपने एलईए की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत  सलाह और वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की पहल को बढ़ावा देती है।

व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए, केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने, चेतावनी (अलर्ट), सलाह (एडवाइजरी) जारी करने, कानून प्रवर्तन कर्मियों/अभियोजकों/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण/प्रशिक्षण, साइबर फोरेंसिक सुविधाएं  आदि में सुधार के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4Cसी) की स्थापना की है। साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ, जनता को सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाने के लिए, I4C के एक भाग के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in) लॉन्च किया गया है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाएं, उन्हें एफआईआर में बदलना और उसके बाद की कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। 

केंद्र सरकार ने मोबाइल ग्राहकों को सशक्त बनाने, उनकी सुरक्षा को मजबूत करने और सरकार की नागरिक केंद्रित पहलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संचार साथी पोर्टल (www.sancharsathi.gov.in) लॉन्च किया है। पोर्टल अन्य बातों के अलावा, नागरिकों को संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की रिपोर्ट करने, उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शनों को जानने और वियोग के लिए उन मोबाइल कनेक्शनों की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है, जिनकी या तो आवश्यकता नहीं है या उनके द्वारा नहीं लिया गया है। चोरी / खोए हुए मोबाइल हैंडसेट की रिपोर्ट, ब्लॉकिंग और ट्रेसिंग के लिए, भारतीय टेलीफोन नंबर के साथ प्राप्त आने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉलों को कॉलिंग लाइन पहचान के रूप में रिपोर्ट कर सकते हैं। 

  • फर्जी दस्तावेजों से लिए मोबाइल कनेक्शन काटे- 73 लाख
  • प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) को ब्लैकलिस्ट- 70,895
  • काली सूची में डाले गए पीओएस के खिलाफ एफआईआर- 365
  • पूरे भारत में मोबाइल हैंडसेट बंद कर दिए गए- 2.26 लाख
  • ऐसे व्हाट्सएप अकाउंट बंद कर दिए गए जो फर्जी/जाली दस्तावेजों पर लिए गए मोबाइल कनेक्शन से जुड़े थे या साइबर अपराध में शामिल थे- 7 लाख
  • संचार साथी पोर्टल पर खोए/चोरी मोबाइल हैंडसेट का पता- 11 लाख
  • नागरिकों द्वारा रिपोर्ट किए जाने पर उनके द्वारा नहीं लिए गए मोबाइल कनेक्शन काट दिए गए- 39.61 लाख
  • निर्धारित सीमा से अधिक मोबाइल कनेक्शन काटे गए- 65.77 लाख
  • डिस्कनेक्ट किए गए मोबाइल कनेक्शन डीआईपी पर साझा- 5.03 करोड़


एसएमएस, हेडर और सामग्री टेम्प्लेट भेजने वाली प्रमुख संस्थाओं (पीई) की संख्या अवरुद्ध है

  • 20.25 पीई
  • 31,615 हेडर
  • 2 लाख टेम्पलेट्स

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