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Thursday, May 2, 2024

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‘महाराष्ट्र के हर गांव में 29 अक्तूबर से शुरू करेंगे भूख हड़ताल’, जरांगे की सरकार को चेतावनी

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं। इस बीच, शनिवार को उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह तत्काल आरक्षण देने में विफल रहती है तो 29 अक्तूबर से महाराष्ट्र के हर गांव में सिलसिलेवार भूख हड़ताल शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अनशन पर बैठे प्रदर्शनकारियों को कोई नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी। 

जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मीडिया को संबोधित करते हुए जरांगे ने एलान किया कि आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हो गया है और तीसरा चरण 31 अक्तूबर को शुरू होगा। भूख हड़ताल के चौथे दिन जालना के जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाल और पुलिस अधीक्षक शैलेश ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए उनसे मुलाकात की, जिसके बाद जरांगे (40 वर्षीय) ने डॉक्टरों से जांच कराने से भी इनकार कर दिया। 

उन्होंने कहा, 29 अक्तूबर से महाराष्ट्र के हर गांव में सिलसिलेवार भूख हड़ताल, आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। सरकार को इस आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए और आंदोलनकारी मराठों के मजबूत संकल्प को कम करने नहीं आंकना चाहिए। 

जरांगे ने 25 अक्तूबर को अपनी भूख हड़ताल का दूसरा चरण शुरू किया, जिसके एक दिन बाद ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में मराठों के लिए आरक्षण की घोषणा करने के लिए राज्य सरकार को दिया गया अल्टीमेटम समाप्त हो गया। उन्होंने उसी गांव में 29 अगस्त से 14 सितंबर तक 14 दिनों तक उपवास रखा था और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आश्वासन पर इसे वापस ले लिया था। जरांगे ने कहा कि आंदोलन का तीसरा चरण 31 अक्तूबर से शुरू होगा और 30 अक्तूबर को जानकारी का खुलासा किया जाएगा। 

उन्होंने इस बात को दोहराया कि सत्तारूढ़ दलों के साथ-साथ विपक्ष के राजनेताओं को गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, हमारे बच्चों द्वारा सामना की जा रही समस्याएं मेरी शारीरिक पीड़ा की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अन्य समुदायों के आरक्षण को कमजोर किए बिना कानूनी जांच में खरा उतरेगा। हालांकि, जरांगे ने सरकार पर आरक्षण की प्रतिबद्धता से अपने कदम पीछे खींचने का आरोप लगाया था। उन्होंने सरकार पर मराठा समुदाय की ‘उचित मांग’ को लेकर उनके खिलाफ कुछ लोगों को भड़काने का आरोप लगाया।

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