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Wednesday, May 8, 2024

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संयोग है या प्रयोग! देवेंद्र फडणवीस की एंट्री और नितिन गडकरी का एग्जिट, चर्चाएं दिल्ली से महाराष्ट्र तक

भाजपा ने अपनी शीर्ष संस्था संसदीय बोर्ड से नितिन गडकरी को हटाकर और केंद्रीय चुनाव समिति में देवेंद्र फडणवीस को लाकर एक साथ कई संकेत दिए हैं। फिलहाल महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक इसके सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और दोनों नेताओं के भविष्य को लेकर चर्चाएं हैं। भाजपा के किसी भी नेता ने इस पर खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन अंदरखाने चर्चा है कि नितिन गडकरी को उनके बेबाक बयानों के चलते संसदीय बोर्ड से बाहर किया गया है। इसके अलावा बैलेंस बना रहे और महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व भी रहे इसलिए देवेंद्र फडणवीस को मौका दिया है। कहा यह भी जा रहा है कि नितिन गडकरी संघ की पसंद थे, ऐसे में उन्हें हटाना आसान नहीं था। लेकिन उनकी एवज में संघ की ही पसंद कहे जाने वाले देवेंद्र फडणवीस को मौका दिया गया।

संयोग ही है कि देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी दोनों ही नागपुर से आते हैं और दोनों ही ब्राह्मण नेता हैं। इस तरह नागपुर और समुदाय दोनों का प्रतिनिधित्व बना हुआ है और नितिन गडकरी संसदीय बोर्ड से बाहर भी हो गए हैं। देवेंद्र फडणवीस को केंद्रीय चुनाव समिति में लाने के भी संकेतों को समझने के प्रयास चल रहे हैं।

महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम, फिर केंद्र में क्यों मिल गया प्रमोशन?

भाजपा के एक तबके का कहना है कि फडणवीस को इसलिए मौका दिया गया क्योंकि उन्होंने हाईकमान की बात को चुपचाप मानते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बनने का फैसला लिया। इसके अलावा राज्य में भाजपा के 116 विधायकों में से करीब 80 ने फडणवीस के डिप्टी सीएम बनने पर नाखुशी जाहिर की थी। ऐसे में पार्टी ने उन्हें प्रमोट करके असंतोष को भी खत्म करने की कोशिश की है।

क्या भविष्य में फडणवीस भी जा सकते हैं दिल्ली की राह!

कुछ नेताओं का कहना है कि फडणवीस की एंट्री और गडकरी का एग्जिट महज संयोग नहीं हैं बल्कि प्रयोग है। चर्चा है कि देवेंद्र फडणवीस को भविष्य में केंद्र की सियासत में ही लिया जा सकता है, जबकि महाराष्ट्र में नए बने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले, आशीष शेलार या फिर सुधीर मुनगंटीवार जैसे किसी नेता को प्रमोशन मिल सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि देवेंद्र फडणवीस भी भविष्य के नितिन गडकरी हो सकते हैं। हालांकि यहां बता दें कि यह सभी अनुमान भाजपा के भीतर के कयास भर हैं। इस बारे में हाईकमान से लेकर महाराष्ट्र तक के किसी नेता ने कुछ भी बोला नहीं है।

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